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हथुआ: अपराधियों की पनाहगाह में पर्यटन की अनोखी पहल, जलदूत बन मनोरम झील को दे दिया आकार

अपराधियों की इस पनाहगाह में लोग कभी दिन में भी जाने से डरते थे। आज यहां विशाल व मनोरम पर्यटन स्थल  आकार ले रहा है। लॉकडाउन के बाद राज्य के इस नए पर्यटन स्थल के सपने के पूरे होने की उम्मीद है। इसे साकार कर रहे हैं 75 साल के जय बहादुर सिंह। गोपालगंज के लोग उन्‍हें आदर से ‘जलदूत’ भी कहते हैं।
 
सुनसान इलाके में अपराधी करते थे चहलकदमी
हथुआ स्थित रुपनचक गांव में एक चंवर (पूर साल जल-जमाव वाला भूखंड) था। इसमें आसपास दर्जनों किसानों  की जमीन डूबी हुई थी। साल भर कीचड़ युक्त पानी जमा रहने के कारण किसान मायूस रहते थे। वहां अपराधी चहलकदमी करते थे। लोग उधर जाने से डरते थे।
भूखंड पर पड़ी नजर तो की सूरत बदलने की पहल
करीब 15 साल पहले रुपनचक के जय बहादुर सिंह ने उस इलाके की सूरत बदलने की पहल की। चकबंदी विभाग में अमीन रहे जय बहादुर सिंह नौकरी छोड़ गांव आ गए थे। वे वहां कुछ करना चाहते थे। इसी क्रम में उनकी नजर उस विशाल सुनसान व बेकार भूखंड पर पड़ी।
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कल की बेकार जमीन आज बनी विशाल झील
आज 75 साल के वृद्ध हो चुके जय बहादुर सिंह बताते हैं कि शुरू में ग्रामीणों ने उनकी पहल में साथ नहीं दिया, लेकिन वे निराश नहीं हुए। उन्होंने वहां की केवल डेढ़ बीघा जमीन में तालाब  बनाकर मछली पालन  शुरू किया। तालाब के किनारे सागवान के पौधे भी लगाए। फिर क्या था, देखते-देखते अन्य ग्रामीण भी उनकी मुहिम में जुटते चले गए। धीरे-धीरे कारवां बनता गया। परिणाम यह हुआ कि चंवर तालाब (Pond) बना, फिर उसने दो सौ एकड़ में फैली झील  की शक्ल अख्तियार कर ली। वहां मछली पालन के साथ हेचरी भी विकसित की गई है। उस जगह बड़े पैमाने पर मुर्गी व बतख पालन भी हो रहा है।
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आगे पर्यटन केंद्र के रूप में विकास की योजना
जय बहादुर बताते हैं कि इस सामूहिक पहल से हर तरफ हरियाली छा गई है। आसपास के लोग घूमने भी आने लगे हैं। कोरोना के कारण जारी लॉकडाउन के ठीक पहले तक इसके सौंदर्यीकरण का काम चल रहा था। लॉकडाउन के बाद झील का सौंदर्यीकरण नए सिरे से शुरू किया जाएगा। पर्यटकों के मनोरंजन के लिए नौकायन की सुविधा रहेगी। आगे सुविधासंपन्न वाटर पार्क  विकसित करने की योजना है। आसपास फूड कोर्ट  व दुकानें  विकसित की जाएंगी। बाहर से आने वाले पर्यटकों के लिए एक गेस्ट हाउस  बनाया जाएगा।
ग्रामीणों की आय का बड़ा साधन बनेगा यह केंद्र
जय बहादुर सिंह बताते हैं कि इस महत्वाकांक्षी योजना में जिन किसानों की जमीन लगी है, उनकी को-ऑपरेटिव सोसायटी  बनाने की कोशिश चल रही है। पर्यटन विभाग से संपर्क कर इसे राज्य के पर्यटन नक्शे  में शामिल करने का अनुरोध किया गया है। अगर सब कुछ योजना के अनुसार हुआ तो दौ सौ एकड़ में फैली यह झील पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बनने के साथ स्थानीय ग्रामीणों की आय का बड़ा साधन भी बनेगी।
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सोना उगल रही धरती, जनसहयोग से किया काम
ग्रामीण नागेंद्र सिंह ने बताया कि भूखंड पर पहले साल भर पानी व कीचड़ रहने से इसका उपयोग नहीं हो पाता था। अब यह सोना उगल रहा है। इससे आय तो हो ही रही है, पर्यटन को भी बढ़ावा मिलना तय है। ग्रामीण रामाशंकर सिंह, कमलेश राय, रामाशंकर राय व अखिलेश सिंह भी कहते हैं कि जयबहादुर सिंह की पहल से यहां की आबोहवा पूरी तरह से बदल गई है। यहां लोग पिकनिक मनाने आते हैं। अभी तक सबकुछ जनसहयाग से किया गया है। आगे भी प्रशासन से सहयोग नहीं मिला तो जनसहयोग से ही वाटर पार्क बनाया जाएगा।
प्रशासन व पंचायत भी सहयोग के लिए तैयार
ग्रामीण जन सहयोग से काम करने की बात कर रहे हैं, लेकिन प्रशासन  भी सहयोग को तैयार है। हथुआ के प्रखंड विकास पदाधिकारी  रवि कुमार ने बताया कि प्रशासन पर्यटन स्थल के विकास में सहयोग दे रहा है। झील तक जाने के लिए छह महीने पहले पक्की सड़क बनाई जा चुकी है। गेस्ट हाउस तथा अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए योजना बनाकर जिला प्रशासन के माध्यम से पर्यटन विभाग को भेजने की प्रक्रिया चल रही है। रुपनचक पंचायत की मुखिया  अंजू देवी ने भी कहा कि ग्रामीण जो भी सहयोग चाहेंगे, पंचायत स्तर पर दिया जाएगा।
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इस पर्यटन स्थल तक कैसे पहुंचें, जानिए
सवाल यह है कि पर्यटन स्थल के रूप में विकास के बाद आखिर लोग यहां पहुंचेंगे कैसे? यह राज्य की राजधानी पटना  से करीब 74 किमी तो उत्तर प्रदेश  के निकटवर्ती शहर देवरिया  से करीब 36 किमी दूर है। देवरिया से हथुआ तक सड़क मार्ग से पहुंच सकते हैं। पटना से गोपालगंज तक ट्रेन  की सुविधा भी उपलब्ध है। गोपालगंज से सड़क मार्ग  से हथुआ जाना होगा। गोपालगंज के पहले सिवान में भी ट्रेन छोड़कर सड़क मार्ग से हथुआ पहुंचा जा सकता है। हथुआ प्रखंड मुख्यालय से एक किलोमीटर उत्तर मीरगंज-सबेया मुख्य पथ  के किनारे यह स्थल है। मुख्य पथ से झील तक जाने के लिए पक्की सड़क है।