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बाढ़ का कहर – खाने की व्यवस्था, पर बाढ़ पीड़ितों को रहने के लिए नहीं मिला ठिकाना

सदर प्रखंड के कटघरवां, जगीरी टोला, रामपुर टेंगराही व बरईपट्टी के दर्जनों गांवों में अभी भी बाढ़ की स्थित विकट बनी हुई है। हालांकि प्रशासन के राहत कैंप शुरू होने बाढ़ की दुश्वारियां झेल रहे इन गांवों के ग्रामीणों को कुछ राहत भी मिली है। लेकिन अभी भी इन गांवों के ग्रामीणों की रातें तथा दिन बांध, पुल-पुलिया तथा घरों की छतों पर कट रही हैं। राहत कैंप खुलने के बाद इन्हें वहां खाना तो मिल रहा है। लेकिन इन राहत कैंपों में बाढ़ पीड़ितों के लिए रहने की व्यवस्था ठीक नहीं की गई है।
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सदर प्रखंड के कटघरवां, जगीरी टोला, रामपुर टेंगराही तथा बरईपट्टी पंचायत के दर्जनों गांव गंडक नदी का जलस्तर बढ़ने के साथ ही बाढ़ की चपेट में आ गए थे। इन पंचायतों के दर्जनों गांवों के ग्रामीण पिछले पंद्रह दिन से बाढ़ में फंसे हुए हैं। गांव में पानी भर जाने से बांध तथा घर की छत ही ग्रामीण शरण लिए हुए हैं। ग्रामीणों ने बताया कि कम्युनिटी किचन तथा राहत कैंप खुलने से उन्हें खाना तो मिल जा रहा है। लेकिन राहत कैंप में बाढ़ पीड़ितों की संख्या से अनुसार जगह नहीं है। प्रशासन के आंकड़ भी बताते हैं कि राहत कैंप में मात्र तीन हजार बाढ़ पीड़ित ही रहे रहे हैं। बाढ़ प्रभावित गांवों के अधिकांश ग्रामीण पिछले पंद्रह दिन से जहां-तहां ऊंचे स्थान पर शरण लिए हुए है।
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मवेशियों के लिए नहीं है चारे की व्यवस्था:
सदर प्रखंड के दियारा इलाके के बाढ़ में फंसे ग्रामीणों को अपने मवेशियों को लेकर भी परेशानी झेलनी पड़ रही है। ग्रामीणों ने बताया कि खेती के साथ पशुपालन ही दियारा इलाके के लोगों की आय का मुख्य साधन है। बाढ़ आने के बाद ग्रामीण अपने मवेशियों के साथ बांध पर शरण लिए हुए हैं। राहत कैंप खुलने से बाढ़ पीड़ितों को खाना तो मिला जा रहा है। लेकिन मवेशियों के लिए चारा की व्यवस्था नहीं हो पाई है। जिससे मवेशी कमजोर तथा बीमार पड़ने लगे हैं। ग्रामीण बाढ़ में डूबे अपने खेत में लगी धान तथा गन्ना की फसल काट कर अपने मवेशियों को खिला रहे हैं।