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गोपालगंज – पोखरों से बही मछलियां बनीं बाढ़ पीड़ितों का सहारा

दो महीने से बाढ़ की विभीषिका झेल रहे बैंकुंठपुर प्रखंड की सभी पंचायतों के बाढ़ प्रभावित गांवों के ग्रामीणों के सामने पेट भरने की समस्या खड़ी हो गए गई। सारण तटबंध टूटने से आई विनाशकारी बाढ़ ने पहले की बाढ़ प्रभावित गांवों के ग्रामीणों का आशियाना छीन लिया।
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डेढ़ महीना सड़कों के किनारे तथा ऊंचे स्थानों पर शरण लिए बाढ़ पीड़ित प्रशासन तथा सामाजिक कार्यकर्ताओं से मिल रहे खाना के पैकेट पर दिन काट लिए। इसी बीच बाढ़ का पानी घटने पर बाढ़ पीड़ित अपने घरों में लौट कर फिर से जिदगी पटरी पर लाने की जद्दोजहद करने लगे। बाढ़ पीड़ित अभी बाढ़ से उबर भी नहीं पाए थे कि फिर उन्हीं स्थानों पर बांध टूट गया, जहां 23 जुलाई की रात बांध टूटने से विनाशकारी बाढ़ की चपेट में पूरा प्रखंड आ गया था। अब फिर बाढ़ पीड़ित सड़कों के किनारे शरण ले रहे हैं। लेकिन, इस बार न तो प्रशासन की तरफ से अब तक बाढ़ पीड़तों को कोई मदद मिली है और ना ही सामाजिक कार्यकर्ता बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए आगे आ रहे हैं। ऐसे में पेट भरने की समस्या से जूझ रहे बाढ़ पीड़ितों की थाली का सहारा पोखरों से बह गईं मछलियां बन गई हैं।
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बाढ़ पीड़ित इलाकों में सड़क किनारे शरण लिए बाढ़ पीड़ित परिवारों के बच्चे सड़कों के किनारे कम पानी में मछलियां पकड़ रहे हैं तो कहीं पुल और पुलिया के पास डंडे में मच्छरदानी बांध कर बाढ़ पीड़ित मछलियां मार कर अपना पेट भर रहे हैं। दुबारा आई बाढ़ में प्रखंड क्षेत्र के दर्जनों गांव जलमग्न हो गए हैं। बाढ़ ने इलाके के लोगों की कमर तोड़ दी है। किसी के वर्षों के कमाई से बनाये घर ध्वस्त हो गए हैं तो किसी के परिवार के सदस्यों को बाढ़ ने छीन लिया है।
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मछली पालकों के लिए बाढ़ बड़ी आफत बनकर आई है। प्रखंड क्षेत्र में कुल 37 सरकारी तथा छोटे बड़े मिलाकर 150 के करीब निजी पोखर हैं। बाढ़ ग्रस्त इलाकों में बाढ़ के कहर बरपाने की वजह से पोखर ध्वस्त हो गए हैं। पोखरों में पाली गई मछलियां बाढ़ के पानी में बह गई हैं। यही मछलियां अब बाढ़ पीड़ितों का भूख मिटा रही हैं। बाढ़ पीड़ित तरह तरह के जुगाड़ लगाकर मछलियां पकड़ कर रहे हैं। बच्चे थाली से तो महिलाएं कपड़े के चादर से सड़क किनारे कम पानी में मछलियां छान रही हैं।
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वहीं बाढ़ के पानी के तेज बहाव के समीप बांस के डंडे में मच्छरदानी बांधकर से पुल पुलिया से लटक कर बाढ़ पीड़ित पूरे दिन मछलियां पकड़ रहे हैं। बाढ़ पीड़ितों ने बताया कि अब तक प्रशासन से कोई मदद नहीं मिली है। मछलियां पकड़ कर उसे पकाकर किसी तरफ से खुद और अपने परिवार के सदस्यों का पेट भर रहे हैं।
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