हथुआ अनुमंडल मुख्यालय की ग्रामीण क्षेत्र मछागर जगदीश पंचायत के बड़ा कोईरौली गांव की विंदा देवी आठ साल से बाल विवाह व दहेज प्रथा के खिलाफ लोगों को जागरूक कर रही हैं. उनका उद्देश्य बाल विवाह को जड़ से खत्म करना है. पेशे से आशा फैसिलेटर विंदा देवी अपने शिक्षक पति डॉ राकेश रंजन के सहयोग से गांव-गांव में महिलाओं व युवतियों को संगठित कर लोगों को जागरूक कर रही हैं.
आज विंदा के नेतृत्व में दो दर्जन मुस्लिम परिवारों के साथ 32 परिवारों की बेटियों और महिलाओं का ग्रुप समाज में जागरूकता फैला रहा है. गरीबी की मार झेल रहे दलित और मुस्लिम परिवारों में बाल विवाह के खिलाफ काफी जागरूकता आयी है. उसी के प्रयासों से अब तक 45 बाल विवाह रुकवाये जा सके हैं.
संगठन के प्रयास से लोग हुए जागरूक
ज्यादातर बाल विवाह मजदूर व मुस्लिम इलाके के परिवारों में देखने को मिलते थे, लेकिन संगठन के प्रयास से लोग जागरूक हुए. विंदा बताती हैं कि राधेश्याम राम की 14 वर्षीया बेटी की शादी को संगठन ने रोक दिया. राधेश्याम ने गरीबी के कारण सीवान के मैरवा में बेटी की शादी तय की थी.
20 नवंबर, 2017 को शादी होनी थी. मछागर जगदीश गांव के दुखी राम, घरभरन साह की पुत्री की शादी किशोर अवस्था में ही तय कर दी गयी थी. संगठन के सदस्यों ने उन्हें बाल विवाह के दुष्परिणाम के बारे में बताया, जिससे दोनों बच्चियों की शादी रुक गयी. विंदा देवी ने बगही, मोतीपुर चिकटोली, मनीछापर, हथुआ आदि गांवों में 45 बाल विवाह रुकवाये हैं.
गांधीवादी तरीके से रैलियां व प्रदर्शन
विंदा देवी बताती हैं कि गांधीवादी तरीके से नशा मुक्ति को लेकर पति की शराब की लत छुड़ाने के तरीके बताये जाते हैं. साथ ही बाल विवाह, दहेज प्रथा, भ्रूणहत्या आदि को रोकने के लिए महिला कार्यकर्ताओं द्वारा शांतिपूर्वक रैलियां व प्रदर्शन किया जाता है. इसके अलावा महिला सशक्तीकरण के उद्देश्य को लेकर जिला स्तर पर सदस्यों को जोड़कर संगठन को मजबूत किया जा रहा है.
मीडिया ने किया था सम्मानित
सीवान जिले के हकाम में पली-बढ़ी विंदा ने 1991 में इंटर पास की है. 1994 में हथुआ के कोईरौली गांव निवासी डॉ राकेश रंजन से शादी हुई. पति-पत्नी दोनों ने मिलकर बाल विवाह के खिलाफ आस-पड़ोस के लोगों को जागरूक किया. समाज में फैली तमाम बुराइयों को जमीनी स्तर पर दूर करने के लक्ष्य को लेकर इस पहल को देख मीडिया ने अपराजिता सम्मान से सम्मानित किया है.