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टेरर फंडिंग- करोड़पति बनने के चक्कर में देश की परवाह नहीं

एक ओर सीमा पर जवान देश के खातिर जान दांव पर लगा देते हैं. ये वीर जवान भारत मां की रक्षा के लिए आतंकियों से लोहा लेते शहीद हो रहे हैं . वहीं, मांझा थाना क्षेत्र के आलापुर के मुकेश प्रसाद जैसे लोग भी हैं, जो आतंकियों की मदद के लिए महज आठ फीसदी कमीशन पर वतन का सौदा कर रहे हैं.
टेरर फंडिंग की सारी रकम की लेनदेन पर आतंकी संगठनों से मुकेश को तीन से 08-10 फीसदी कमीशन तक मिलता था. गिरफ्तारी के बाद सुरक्षा एजेंसियों की पूछताछ के अधिकारियों को यह पता चला कि विभिन्न खातों में पाकिस्तान से जो पैसा मुकेश प्रसाद मंगवाता था, उसका कमीशन उसे आठ फीसदी मिलता था. कमीशन काटने के बाद मुकेश पैसा उन खातों में डाल देता था, जिन खातों में पैसा भेजने के लिए कहा जाता था. एटीएस अभी यह जांच कर रही है कि बिहार, तमिलनाडु के तीन खातों के अलावा जम्मू कश्मीर समेत अन्य प्रदेशों के किन-किन खातों में पैसा भेजा गया है. महज 10% के लिए देश से गद्दारी की जा रही थी. टेरर फंडिंग से जुड़े गोपालगंज के अन्य युवकों की तलाश में सुरक्षा एजेंसियां जुटी हैं. दो-चार दिनों में चौकान्ने वाले तथ्य सामने आ सकते हैं.

करोड़पति  बनने के चक्कर में देश की परवाह नहीं : आलापुर के मुकेश प्रसाद को टेरर फंडिंग के मामले में एटीएस ने पिछले 24 मार्च को  गोरखपुर के बिछिया मोहल्ले से गिरफ्तार किया था. टेरर फंडिंग में शामिल रहे मुकेश प्रसाद व उसके साथी सुशील राय, मुशर्रफ अंसारी, दयानंद यादव का पाकिस्तानी हैंडर से सीधा कोई संबंध नहीं है.
जबकि, गोरखपुर के मोबाइल कारोबार से जुड़ी फर्म नईम एंड संस के मालिक नईम अहमद के दो पुत्रों नसीम अहमद और अरशद नईम एवं प्रतापगढ़ तथा रीवा, मध्यप्रदेश से गिरफ्तार किये गये उमा प्रताप सिंह उर्फ सौरभ तथा प्रतापगढ़ से गिरफ्तार संजय सरोज का ही पाकिस्तानी हैंडलर से सीधा संबंध होने का प्रमाण मिला है. हैंडलर का पाकिस्तानी चरमपंथी संगठन लश्कर-ए-तैयबा से भी संबंध होने का साक्ष्य भी सामने आया है. कारोबारी भाइयों सहित चारों आरोपित, पाकिस्तानी हैंडलर के कहने पर बैंकों में फर्जी नाम व पते से खाते खोलवाते थे. करोड़पति बनने के लोभ में आकर ये युवा टेरर फंडिंग के जाल में फंसते जा रहे थे.
घर से बाहर नहीं आ रहे परिजन : गिरफ्तार मांझा थाने के आलापुर गांव के रहने वाले शिक्षक जलेश्वर प्रसाद के पुत्र मुकेश की गिरफ्तारी के बाद परिवार के लोग सदमे से बाहर नहीं आ रहे हैं. मुकेश के शिक्षक पिता, पत्नी गुड्डी देवी समेत अन्य परिजन घर के बाहर नहीं निकल रहे हैं. शर्म के कारण परिवार के लोग  खुद को काफी लज्जित महसूस कर रहे हैं. इस बीच यह पता चला है कि मुकेश के कई साथी उसकी गिरफ्तारी के बाद से ही भूमिगत हैं. मांझा थाने की पुलिस टेरर फंडिंग की खबर से अब भी अनजान बनी हुई है.