कभी इस परिवार के सदस्य दूसरों की मदद करते थे। लेकिन समय का चक्र ऐसा चला कि अब यह परिवार दो जून की रोटी के लिए मोहताज हो गया है। अरुणाचल प्रदेश में दुकान चलाने वाले पंचदेवरी प्रखंड के बहेरवा गांव निवासी मणिराज कोहर मानसिक रूप से पीड़ित अपने पुत्र को इलाज करने के लिए अपना घर व जमीन बेच चुके हैं। अब पैसे के अभाव में न तो ये बीमार पुत्र इलाज करा पा रहे हैं और ना ही रोजी रोजगार की कोई व्यवस्था रह गई है। लेकिन अब गरीबी के बीच रोज मर-मरकर जी रहे इस परिवार की मदद को लोग हाथ बढ़ाने लगे हैं। सामाजिक क्षेत्र में काम करने वाली साइनिंग शॉल्स ट्रस्ट मचवा ने इस परिवार की आर्थिक मदद करने की जिम्मेदारी उठाने की पहल की है। इस पहल से दाने-दाने के लिए मोहताज इस परिवार के सदस्यों के चेहरे पर बेहतरी की उम्मीद की किरण झलकने लगी है।
पंचदेवरी के बहेरवा गांव निवासी मणिराज कोहार अरुणाचल में दुकानदारी करते थे। इसी बीच दस साल पूर्व इनके पुत्र चंद्रिका प्रसाद मानसिक रूप से बीमार हो गए। पुत्र का इलाज करने में इनकी आर्थिक हालत खराब हो गई। ये अपनी पत्नी फूलकुमार देवी तथा बीमार पुत्र चंद्रिका प्रसाद के साथ अपने गांव चले गए। गांव आने के बाद अपने पुत्र को इलाज करने के लिए उन्होंने अपना घर व जमीन भी बेच दी। लेकिन पुत्र ठीक नहीं हो सका। अब यह परिवार दाने-दाने का मोहताज हो गया है। दो वक्त की रोटी की व्यवस्था भी मुश्किल से हो पाती है। 77 वर्षीय मणिराज कोहरा ने बताया कि उन्हें किसी सरकारी योजना का लाभ नहीं मिलता है। लेकिन जैसे तैसे जीवन काट रहे इस परिवार की मदद के लिए अब लोग आगे जाने लगे हैं। अब इस परिवार को आर्थिक सहयोग देने की जिम्मेदारी साइनिंग शॉल्स ट्रस्ट मचवा ने उठा लिया है। ट्रस्ट के अध्यक्ष राहुल सिन्हा ने बताया कि उनका ट्रस्ट सामाजिक क्षेत्र में काम करता है। बदहाली में जी रहे इस परिवार का भरण पोषण करने के साथ ही मणिराज के बीमार पुत्र चंद्रिका प्रसाद का इलाज करने की जिम्मेदारी भी ट्रस्ट ने ली है।