पोषण पर आधारित सेमिनार न्यूट्री-उत्सव का समापन
• व्यवहार परिवर्तन से पोषण स्तर में सुधार संभव
• बच्चों में पौष्टिक भोजन के प्रति रुचि जगाना माता-पिता की ज़िम्मेदारी
• राज्य में लगभग 61 लाख लोग कुपोषण के शिकार
[the_ad id=”10743″]
पटना / 9 दिसम्बर: इंडियन डाइटेटिक एसोसिएशन द्वारा पोषण पर आधारित दो दिवसीय नेशनल सेमिनार न्यूट्री उत्सव का रविवार को समापन हुआ. सेमिनार की शुरुआत शनिवार को राज्य मंत्री स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग, भारत सरकार अश्विनी कुमार चौबे ने किया. सेमिनार के पहले दिन राज्य के सभी जिलों में डाइटएसीयंस की नियुक्ति की बात कही गयी. साथ ही राज्य के पोषण स्थिति में सुधार के लिए पोषण अभियान की भूमिका पर विशेष बल दिया गया. यह बताया गया कि राज्य में लगभग 61 लाख लोग कुपोषण के शिकार हैं. केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने कुपोषण से लड़ने के लिए मार्च 2018 में पोषण अभियान की शुरुआत की। जिसका उद्देश्य वर्ष 2022 तक 6 साल की आयु के बच्चों में कुपोषण का स्तर 38.4 प्रतिशत से घटाकर 25 प्रतिशत तक लाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. पिछले दस वर्षों में बिहार में बौनापन में कमी आई है। बिहार में वर्ष 2006 में बौनापन 56 प्रतिशत था, जो वर्ष 2016 में घटकर 48 प्रतिशत हो गया है. इन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए पोषण अभियान अहम भूमिका अदा कर रहा है. [the_ad id=”10743″]
व्यवहार परिवर्तन से पोषण में सुधार : सेमिनार के दूसरे दिन आईडीए की राष्ट्रीय महासचिव सुमोना मंडल ने कहा व्यवहार परिवर्तन से पोषण में सुधार लाया जा सकता है. बेहतर पोषण के लिए महंगे खाद्य पदार्थों का सेवन जरुरी नहीं होता है. परंपरागत रूप से मौजूद खाद्य पदार्थों में भी भरपूर रूप से पोषक तत्त्व होते हैं. जिनके सेवन से जरुरी पोषक तत्वों की कमी दूर की जा सकती है. उन्होंने बताया मौसमी फ़ल एवं सब्जियों को आहार में शामिल कर बेहतर पोषण प्राप्त किया जा सकता है. इसके लिए फ़ास्ट फ़ूड एवं अन्य जंक फ़ूड से परहेज भी करने की जरूरत है. विशेषकर गर्भवती माताओं, बच्चों एवं किशोरियों को बेहतर पोषण की सख्त जरूरत होती है. इसके लिए उनके व्यवहार में परिवर्तन भी जरुरी है. बेहतर पोषण की जरूरत के विषय में समाज का एक बड़ा तबका आज भी बहुत जागरूक नहीं है. इसके लिए उनके व्यवहार में परिवर्तन लाना भी जरुरी है, [the_ad id=”10743″]
पौष्टिक आहार के प्रति बच्चों में जगाएं रुचि: सुमोना मंडल ने बताया बच्चों में पौष्टिक भोजन के प्रति रुची जगाने की जिम्मेदारी उनके माता-पिता की होनी चाहिए. बहुत बार बच्चे रुची के आभाव में पौष्टिक आहार सेवन करने से वंचित रह जाते हैं. ऐसी दशा में बच्चे कुपोषण के शिकार हो जाते हैं. इसलिए माता-पिता को बच्चे के आहार का ख्याल रखना चहिए. साथ ही उनकी रुची को ख्याल में रखकर उनके आहार में पोषक तत्वों को शामिल करना चहिए.
पोषण स्तर में आएगी सुधार: आईडीए बिहार चैप्टर के सचिव डॉ. मनोज कुमार ने बताया यह दो दिवसीय सेमिनार पोषण के विभिन्न आयामों में आपेक्षिक सुधार लाने की दिशा में कारगर साबित होगा. उन्होंने बताया इस सेमिनार में देश के विभिन्न क्षेत्रों से आए पोषण विशेषज्ञ एवं चिकित्सक शामिल हुए. जिसमें उन्होंने मधुमेह में कार्बोहायड्रेट की मात्रा, एनीमिया, पोषण प्रबंधन, हाइपरटेंशन में पोषण प्रबंधन की जरूरत के साथ मातृ. शिशु एवं बड़े बच्चों के पोषण पर विस्तार से चर्चा की विगत कुछ वर्षों से सरकार द्वारा पोषण स्तर में सुधार लाने के लिए विशेष बल भी दिया जा रहा है. इसके लिए सरकार द्वारा पोषण अभियान की भी शुरुआत की गयी है. पोषण अभियान के लक्ष्यों को हासिल करने के लिए सभी विभागों की सहभागिता भी जरुरी है. साथ ही आम लोगों को पोषण के महत्व के संबंध में जागरूक करने की भी जरूरत है..
इस दौरान बबिता हजारिके मुख्य डायटीशीयन अपोलो अस्पताल कलकता, पीएमसीएच से डॉ. पंकज हंस, एम्स पटना से डॉ. नीरज अग्रवाल के साथ पीटर, सुप्रिया एवं शिल्पी उपस्थित थे.