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गोपालगंज: सदर अस्पताल में चल रहा प्लास्टर-पट्टी बेचने का खेल

सदर अस्पताल में प्लास्टर पट्टी दवा दुकानदारों को बेचने का तो खेल नहीं चल रहा है, इसको लेकर अब सवाल उठने लगे हैं। सदर अस्पताल में आने वाले मरीजों को अस्पताल से प्लास्टर पट्टी नहीं दिया जा रहा है। मरीजों को बाहर से प्लास्टर पट्टी खरीद कर लाने के लिए स्वास्थ्य कर्मी दबाव बनाते हैं। सदर अस्पताल के बाहर दवा दुकानों से प्लास्टर पट्टी खरीद कर लाने पर ही मरीजों का प्लास्टर किया जा रहा है। ऐसा तब है जबकि सदर अस्पताल में प्रयास मात्र में प्लास्टर पट्टी उपलब्ध है। बाहर से प्लास्टर पट्टी खरीदना मरीजों की जेब पर भारी पड़ रहा है।

सरकार सरकारी अस्पतालों में मरीजों के लिए दवा से लेकर प्लास्टर पट्टी उपलब्ध करा रही है। सदर अस्पताल में भी दवा से लेकर प्लास्टर पट्टी उपलब्ध है। लेकिन इसके बाद भी मरीजों को अस्पताल से प्लास्टर पट्टी नहीं दिया जा रहा है। शनिवार को हड्डी टूटने पर इलाज कराने आए मरीजों को बाहर से प्लास्टर पट्टी खरीदना पड़ा। बताया जाता है कि उचकागांव थाना क्षेत्र के परसौनी गांव निवासी अच्छेलाल राम की चार वर्षीय पुत्री के हाथ की हड्डी टूट गई। वे बच्ची को लेकर सदर अस्पताल के इमरजेंसी कक्ष में पहुंचे। चिकित्सक ने बच्ची के हाथ में प्लास्टर करने को कहा। चिकित्सक कक्ष से बाहर निकलने पर प्लास्टर करने वाले स्वास्थ्य कर्मी ने अच्छेलाल रात से अस्पताल परिसर के बाहर स्थित दवा दुकान से प्लास्टर पट्टी खरीद कर लाने को कहा। मजबूरी में अच्छेलाल राम बाहर दवा दुकान से प्लास्टर पट्टी खरीद कर लाए। शहर के हजियापुर गांव निवासी मंटू पटेल को भी प्लास्टर पट्टी खरीदने के लिए अपनी जेब ढीली करनी पड़ी। इनकी मांग के पैर की हड्डी टूट गई है। शनिवार को ये अपने मां को लेकर सदर अस्पताल के इमरजेंसी कक्ष में पहुंचे। प्लास्टर करने के लिए इनसे भी स्वास्थ्य कर्मी ने बाहर से प्लास्टर पट्टी खरीद कर लाने को कहा। इन्हें भी बाहर से प्लास्टर पट्टी खरीद कर लाना पड़ा। तब जाकर इनकी मां के पैर का प्लास्टर किया गया। प्लास्टर पट्टी उपलब्ध होने के बाद भी मरीजों को बाहर से प्लास्टर पट्टी खरीदने कर लाने के लिए मजबूर किया जा रहा है।