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गोपालगंज : पोषण माह में सात करोड़ से अधिक लोग होंगे पोषण पर जागरूक

क्षेत्रफल की दृष्टि से बिहार देश में तेरहवाँ एवं आबादी की दृष्टि से तीसरा बड़ा राज्य है। राज्य में 5 साल तक के लगभग 1.27 करोड़ बच्चे हैं। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-4 के अनुसार राज्य में 5 साल तक 61 लाख यानि 48 प्रतिशत बच्चे बौनापन के शिकार हैं। जबकि देश में 38.4 प्रतिशत बच्चे बौनापन से ग्रसित हैं। बिहार में 60 प्रतिशत किशोरियों एवं महिलाओं में ख़ून की कमी है। यह बातें बुधवार को बिहार के समाज कल्याण मंत्री राम सेवक सिंह ने मौलाना मजहरुल हक़ सभागार में पोषण माह शुभारंभ सह उन्मुखीकरण कार्यशाला के दौरान कही।
उन्होंने कहा राष्ट्रीय स्तर पर कुपोषण एक बड़ी समस्या है। साथ ही बिहार भी कुपोषण की दंश झेल रहा है। इससे निजात पाने के लिए भारत सरकार द्वारा मार्च 2018 में राष्ट्रीय पोषण मिशन यानि पोषण अभियान की शुरुआत की गयी है। पोषण माह भी पोषण अभियान का ही हिस्सा है, जिसे पिछले वर्ष की तरह इस वर्ष भी पूरे माह मनाया जाएगा। पोषण माह का आयोजन पोषण अभियान के लक्ष्यों को हासिल करने में मददगार साबित होगा। पोषण के संदेश को जन-प्रतिनिधियों के माध्यम से प्रसारित करने की जरूरत पर बल देते हुए कहा कि पोषण संबंधित योजनाओं को जन-प्रतिनिधि के जरिये आम लोगों तक पहुंचाई जा सकती है। उनकी सहभागिता से सामुदायिक स्तर पर पोषण जागरूकता बढ़ायी जा सकती है। इसके लिए उन्होंने संबंधित विभागों एवं अन्य सहयोगी संस्थाओं से पूर्ण सहभागिता की अपील की। साथ ही पोषण माह के दौरान सभी की ज़िम्मेदारी सुनिश्चित कराने के लिए उपस्थित सभी अधिकारियों को उन्होंने शपथ भी दिलाई।
इस अवसर पर संयुक्त सचिव महिला एवं बाल विकास मंत्रालय भारत सरकार आशीष श्रीवास्तव ने कहा वर्ष 2022 तक पूरे देश में कुपोषण के स्तर में कमी लाने के लिए भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय पोषण मिशन की शुरुआत की गयी है। मिशन का मकसद प्रतिवर्ष 2 प्रतिशत की दर से बौनापन, दुबलापन एवं कम वजन में कमी करना है तथा प्रतिवर्ष 3 प्रतिशत की दर से एनीमीया के मरीजों में कमी लानी है। राष्ट्रीय पोषण माह का आयोजन पोषण अभियान के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए देश भर में मनाया जा रहा है। पूरक आहार को इस बार के पोषण माह का थीम बनाया गया है। बच्चों के बेहतर पोषण के लिए 6 माह तक केवल स्तनपान एवं 6 माह बाद स्तनपान के साथ पूरक आहार जरूरी होता है। कुपोषण को दूर करने के लिए शुरुआती 1000 दिनों का सही इस्तेमाल जरूरी है। जिसमें गर्भावस्था के 270 दिनों के दौरान माता का बेहतर पोषण एवं शेष बचे 730 दिनों में माता के बेहतर पोषण के साथ शिशु का नियमित स्तनपान एवं पौष्टिक पूरक आहार सुनिश्चित कराना जरूरी है। इससे कुपोषण के बढ़ते दर को आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है।
अपर मुख्य सचिव समाज कल्याण विभाग बिहार सरकार अतुल प्रसाद ने राज्य में कुपोषण की सबसे बड़ी वजह व्यवहार परिवर्तन को बताया। उन्होंने कहा शुरुआती 1000 दिनों के सदुपयोग के संबंध में आँगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को घर-घर जाकर लोगों को जागरूक करने की जरूरत है। सरल एवं सहज भाषा में दी जाने वाली जानकारी से ही व्यवहार परिवर्तन संभव है। उन्होंने पूरक आहार सेवन, 6 माह तक केवल स्तनपान( ऊपर से पानी भी नहीं) एवं गर्भावस्था के दौरान पोषण पर दी जाने वाली जानकारी को सहज एवं सरल रूप में माताओं को समझाने पर ज़ोर दिया।
निदेशक आईसीडीएस आलोक कुमार ने कहा पिछले वर्ष सितम्बर माह से ही पोषण माह की शुरुआत हुयी है। पिछले वर्ष बिहार की 30 प्रतिशत आबादी यानि लगभग 3.80 करोड़ लोगों को पोषण माह के दौरान संदेश दिया गया था। इस बार 60 प्रतिशत यानि लगभग 7.60 करोड़ लोगों को पोषण माह के दौरान जागरूक करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इसके लिए जिला स्तर से लेकर सामुदायिक स्तर पर विभिन्न गतिविधियों का आयोजन किया जाएगा। इसके संबंध में सभी जिलों को विस्तार से निर्देशित भी किया गया है।
कार्यशाला के दौरान सहायक निदेशक आईसीडीएस श्वेता सहाय ने पावर पॉइंट प्रेजेंटेशन के जरिये पोषण अभियान के उद्देश्यों एवं पोषण माह में आयोजित होने वाली गतिविधियों के विषय में विस्तार से जानकारी दी। सहायक निदेशक मध्याहन भोजन मदन लाल ने भी पोषण माह को सफ़ल बनाने में शिक्षा विभाग की सहभागिता के विषय में जानकारी दी। उन्होंने बताया फिलहाल बिहार के 5000 स्कूलों में पोषण वाटिका का निर्माण किया गया है एवं पोषण माह के दौरान लगभग 20000 स्कूलों में पोषण वाटिका का निर्माण किया जाएगा।