शहर के राजेंद्र बस स्टैंड का कायाकल्प करने की नगर परिषद की योजना अब पटरी से उतर गई है। नगर परिषद ने राजेंद्र बस स्टैंड को मॉडल बस स्टैंड बनाने के लिए 4.50 करोड़ की योजना बनाकर कर स्वीकृति के लिए नगर विकास विभाग को भेजा था। प्रस्ताव भेजने के बाद दो साल तक यह योजना नगर विकास विभाग के फाइलों में दबी रही। इसी बीच छह माह पूर्व नगर विकास विभाग ने नगर परिषद से राजेंद्र बस स्टैंड का कायाकल्प करने के लिए फिर से प्रस्ताव भेजने का निर्देश दिया। इस निर्देश के बाद नगर परिषद ने नया प्रस्ताव बनाकर नगर विकास विभाग को भेज दिया। लेकिन पांच महीना बीतने के बाद भी अब तक नगर विकास विभाग ने इस योजना को अपनी स्वीकृति नहीं दी है। स्वीकृति नहीं मिलने से राजेंद्र नगर बस स्टैंड का कायाकल्प करने की योजना पटरी से उतर गई है।
शहर का राजेंद्र बस स्टैंड जिले का एक मात्र मुख्य बस पड़ाव है। इस स्टैंड से सूबे की राजधानी पटना, मुजफ्फरपुर से लेकर सिलिगुड़ी तथा रांची के लिए बसें चलती हैं। हर साल इस स्टैंड की बंदोबस्ती से नगर परिषद को लाखों रुपये की आय होती है। लेकिन इसके बाद भी इस स्टैंड मे यात्री सुविधा के नाम पर कुछ भी नहीं है। यहां न तो यात्रियों के लिए बैठने की व्यवस्था है और ना ही बसों को खड़ी करने की ठीक व्यवस्था है। पूरे स्टैंड परिसर में कीचड़ पसरा रहता है। बारिश होने पर परिसर जलजमाव की चपेट में आ जाता है। जिससे यहां बस पकड़ने के लिए आने वाले यात्रियों को काफी परेशानी ङोलनी पड़ती है। जिसे देखते हुए दो साल पहले नगर परिषद ने इस बस स्टैंड का कायाकल्प करने की पहल शुरू किया। इस पहल के तहत बस स्टैंड परिसर में वातानुकूलित भवन बनाए जाने की नगर परिषद ने योजना बनाई। इस भवन में यात्रियों के बैठने की बढ़िया व्यवस्था से लेकर टीवी भी लगाया जाना है। डिसप्ले पर बस के बारे में सूचना देने से लेकर बस स्टैंड परिसर में मॉल भी बनाया जाना है। जहां रेस्टोरेंट से लेकर यात्रियों की जरूरत के सभी सामान मिलेंगे। इंटरनेट का इस्तेमाल करने के लिए यहां वाई फाई की सुविधा भी उपलब्ध कराने की योजना तैयार की गई। 4.50 करोड़ की योजना तैयार कर नगर परिषद ने स्वीकृति के लिए नगर विकास विभाग को भेज दिया। लेकिन यह योजना नगर परिषद के फाइलों में ही दब कर रह गई।