पंचदेवरी प्रखंड के भठवां तक पहुंचकर रुका पड़ा है काम, पैसे की कमी से काम प्रभावित
पुरवोत्तर रेलवे की महत्वपूर्ण परियोजनाओं में से एक हथुआ-भटनी नए रेलखंड के निर्माण का कार्य लंबे समय से फंसा हुआ है। विभागीय स्तर पर हरी झंडी मिलने के बाद भी यह परियोजना बीच राह में ही हांफने लगी है। आलम यह कि लंबी अवधि बीतने के बाद भी इस खंड पर 40 प्रतिशत ही काम पूर्ण हो पाया है। पूवरेत्तर रेलवे में चार नई रेल लाइन की परियोजना को विभागीय स्तर पर हरी झंडी दी गई थी। इन योजनाओं में 79.4 किलोमीटर लंबी हथुआ-भटनी रेल लाइन को वर्ष 2005-06 में स्वीकृति दी गई थी। इस नई परियोजना से हथुआ को उत्तरप्रदेश के भटनी को रेल लाइन से जोड़ने की योजना के तहत जमीन अधिग्रहण का कार्य प्रारंभ किया गया था। लेकिन कुछ समय के बाद राशि का अभाव परियोजना पर भारी पड़ने लगा। वैसे नई रेलखंड की घोषणा के बाद जमीन का अधिग्रहण तथा नई रेल लाइन को बिछाने का कार्य शुरुआती समय में तेजी से किया गया। 1इसी रेलखंड पर राजद प्रमुख लालू प्रसाद का गांव फुलवरिया तथा बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी का मायका सेलार कला भी है। प्रथम फेज में इस खंड पर गांवों के जमीन का अधिग्रहण किया गया। लालू प्रसाद के रेलमंत्री पद पर रहते हुए इस परियोजना पर काफी तेजी दिखी। जल्द ही गांवों की जमीन का अधिग्रहण करने के बाद रेल लाइन बिछाने का कार्य भी पूर्ण कर लिया गया। खुद लालू प्रसाद ने ही फुलवरिया से हथुआ तक रेल गाड़ियों के परिचालन को झंडी दिखाई थी। फुलवरिया से रेल गाड़ियों का परिचालन शुरू होने के बाद बथुआ से लेकर भटनी के बीच जिले की सीमा में स्थित 57 गांवों की जमीन का अधिग्रहण प्रारंभ किया गया। लेकिन इस परियोजना में राशि के अभाव के कारण संकट की स्थिति पैदा होने लगी है। सूत्रों की मानें तो दूसरे फेज में इस खंड के कुल 18 गांवों की जमीन के अधिग्रहण का कार्य ही पूर्ण किया जा सका। ऐसे में गत वर्ष इस खंड में बथुआ से आगे पंचदेवरी तक रेल का परिचालन प्रारंभ किया गया। लेकिन इसके आगे इस खंड के शेष बचे गांवों के जमीन का अधिग्रहण करने का कार्य राशि के अभाव में फंस गया। विभागीय आंकड़ों की मानें तो इन गांवों की भूमि अधिग्रहण के लिए अरब रुपये की दरकार है।
पूवरेत्तर रेलवे की महत्वपूर्ण परियोजनाओं में से एक हथुआ-भटनी नए रेलखंड के निर्माण का कार्य लंबे समय से फंसा हुआ है। विभागीय स्तर पर हरी झंडी मिलने के बाद भी यह परियोजना बीच राह में ही हांफने लगी है। आलम यह कि लंबी अवधि बीतने के बाद भी इस खंड पर 40 प्रतिशत ही काम पूर्ण हो पाया है। पूवरेत्तर रेलवे में चार नई रेल लाइन की परियोजना को विभागीय स्तर पर हरी झंडी दी गई थी। इन योजनाओं में 79.4 किलोमीटर लंबी हथुआ-भटनी रेल लाइन को वर्ष 2005-06 में स्वीकृति दी गई थी। इस नई परियोजना से हथुआ को उत्तरप्रदेश के भटनी को रेल लाइन से जोड़ने की योजना के तहत जमीन अधिग्रहण का कार्य प्रारंभ किया गया था। लेकिन कुछ समय के बाद राशि का अभाव परियोजना पर भारी पड़ने लगा। वैसे नई रेलखंड की घोषणा के बाद जमीन का अधिग्रहण तथा नई रेल लाइन को बिछाने का कार्य शुरुआती समय में तेजी से किया गया। इसी रेलखंड पर राजद प्रमुख लालू प्रसाद का गांव फुलवरिया तथा बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी का मायका सेलार कला भी है। प्रथम फेज में इस खंड पर गांवों के जमीन का अधिग्रहण किया गया। लालू प्रसाद के रेलमंत्री पद पर रहते हुए इस परियोजना पर काफी तेजी दिखी। जल्द ही गांवों की जमीन का अधिग्रहण करने के बाद रेल लाइन बिछाने का कार्य भी पूर्ण कर लिया गया। खुद लालू प्रसाद ने ही फुलवरिया से हथुआ तक रेल गाड़ियों के परिचालन को झंडी दिखाई थी। फुलवरिया से रेल गाड़ियों का परिचालन शुरू होने के बाद बथुआ से लेकर भटनी के बीच जिले की सीमा में स्थित 57 गांवों की जमीन का अधिग्रहण प्रारंभ किया गया। लेकिन इस परियोजना में राशि के अभाव के कारण संकट की स्थिति पैदा होने लगी है। सूत्रों की मानें तो दूसरे फेज में इस खंड के कुल 18 गांवों की जमीन के अधिग्रहण का कार्य ही पूर्ण किया जा सका। ऐसे में गत वर्ष इस खंड में बथुआ से आगे पंचदेवरी तक रेल का परिचालन प्रारंभ किया गया। लेकिन इसके आगे इस खंड के शेष बचे गांवों के जमीन का अधिग्रहण करने का कार्य राशि के अभाव में फंस गया। विभागीय आंकड़ों की मानें तो इन गांवों की भूमि अधिग्रहण के लिए अरब रुपये की दरकार है।
पंचदेवरी तक हो रहा है ट्रेन का परिचालन रेलवे के लिए भू-अर्जन विभाग द्वारा दूसरे फेज में अर्जित की गई 18 गांवों की जमीन पर निर्माण का कार्य गत वर्ष पूर्ण कर लिया गया। ऐसे में पंचदेवरी तक गत वर्ष ट्रेनों का परिचालन शुरू कर दिया गया। लेकिन पंचदेवरी के समीप भठवां गांव के आगे नई रेल लाइन के निर्माण का कार्य लंबे समय से फंसा हुआ है।
नई परियोजना से आम लोगों को थी उम्मीदें करीब बारह साल पूर्व जब नई रेल परियोजना की घोषणा हुई तब लोगों को इस खंड से काफी उम्मीदें दी। आम लोगों को भटनी तक जाने के लिए नया रूट मिलने से पड़ोसी जिले सिवान तक जाने के झंझट से मुक्ति मिलनी तय थी। लेकिन एक दशक से भी अधिक समय से परियोजना के फंसे रहने से उम्मीदें टूटने लगी है।किलोमीटर है हथुआ-भटनी रेलखंड की प्रस्तावित लंबाईगांवों की जमीन का पहले फेज में किया गया था अधिग्रहणअरब रुपये की जरूरत है जमीन अधिग्रहण के लिएगांवों का जमीन पैसे के कारण अधिगृहीत नहीं हो सका है