करीब साढ़े चार साल पहले फिरौती नहीं मिलने पर जिस मासूम की हत्या कर आंखें निकाल दी गयी थी, उस मामले में एडीजे आठ की कोर्ट ने आरोपित को उम्रकैद की सजा सुनायी है. उम्रकैद की सजा सुनाये जाने के साथ ही 50 हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया है. कोर्ट ने हत्याकांड में नामजद एक आरोपित को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दी है. वहीं, दो अन्य आरोपितों पर किशोर न्यायालय में सुनवाई चल रही है. उधर, कोर्ट द्वारा सजा सुनाये जाने के बाद पुलिस ने सजायाफ्ता उचकागांव थाना क्षेत्र के पाखोपाली गांव निवासी आबिद हुसैन को चनावे जेल भेज दिया.
उचकागांव थाना क्षेत्र के पाखोपाली गांव निवासी शेर मोहम्मद वारदात के समय विदेश में थे. चार साल का शेरू दरवाजे पर खेल रहा था, तभी उसका अपहरण कर लिया गया था. अपहरण के बाद फिरौती मांगी गयी. फिरौती की रकम नहीं मिलने पर हत्या कर दोनों आंखें निकाल ली गयी. अपराधियों ने वारदात को अंजाम देने के बाद घर में ही सोफा के नीचे शव को रख दिया गया था. पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज करने के बाद आबिद हुसैन, शहजाद, अखलाक व मोहम्मद हुसैन को नामजद किया. पुलिस जांच में अखलाख व शहजाद को नाबालिग होने के कारण इनका ट्रायल किशोर न्यायालय में चल रहा है, जबकि मोहम्मद हुसैन के खिलाफ में साक्ष्य नहीं मिलने के कारण बरी कर दिया गया. सरकार के तरफ से अपर लोक अभियोजक अरविंद कुमार सिंह ने बहस में भाग लिया, वहीं बचाव पक्ष से अधिवक्ता धनंजय कुमार चौबे शामिल थे.
इकलौते मासूम शेरू को खोने के साढ़े चार साल बाद कोर्ट ने जब आबिद हुसैन को उम्रकैद की सजा सुनायी, तो नजमा खातून फफक कर रो पड़ी. नजमा ने कहा कि चार साल के मासूम बेटे ने किसी का क्या बिगाड़ा था. बेटे की हत्या से आहत मां ने कहा कि फांसी की सजा मिलेगी, तभी कलेजे को राहत पहुंचेगी. नजमा ने हत्याकांड में संलिप्त दो अन्य आरोपितों के भी सजा दिलाने के लिए अंतिम सांस तक लड़ने की बात कही.
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