सारण मुख्य तटबंध टूटने के बाद गंडक नदी का पानी सैकड़ों गांवों में तबाही मचा रहा है। पांच दिन से गंडक नदी की तबाही के कारण बाढ़ से प्रभावित इलाके के लोग अपने पूरे परिवार के साथ राष्ट्रीय उच्च पथ तथा सड़क की पटरियों पर शरण लिए हुए हैं। लेकिन इसमें सबसे ज्यादा परेशानी उनके छोटे-छोटे बच्चों की है। जिन्हें उनके स्वजन कहीं खेलने भी नहीं जाने देते। स्थिति इतनी भयावह है कि लोग अपने बच्चों को अपने कैंप में रख रहे हैं। परिवार के लोग इस बात को लेकर भयभीत हैं कि अगर बच्चा कहीं गया तो चारों तरफ जमा पानी में कहीं डूब न जाए।
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पांच दिन से हाईवे पर शरण लिए लोगों की दशा काफी खराब है। बाढ़ की तबाही ने उन्हें पूरी तरह से बर्बाद कर सड़क पर ला दिया है। सड़क के किनारे बाढ़ की विपत्ति का सामना कर रहे सैकड़ों परिवार के लोगों का दिन तो जैसे तैसे कट लाता है, लेकिन अंधेरे में रात का समय काटना मुश्किल हो जाता है। हाईवे के किनारे प्लास्टिक लगाकर रह रहे लोगों एवं गरीब मजदूरों की जिदगी बोझ बन गई है। विशेष तौर पर प्रत्येक दिन काम कर अपने परिवार के लोगों का भरण पोषण करने वाले परिवारों के समक्ष आज सबसे खराब परिस्थिति है। बाढ़ के कारण दैनिक मजदूरी करने वाले परिवार के लोगों के समक्ष आज कोई भी काम नहीं है। ऐसे में परिवार के लोगों को दो वक्त के भोजन का प्रबंध तक नहीं हो पा रहा है। तटबंध पर शरण लेने वाले पथरा गांव के राधेश्याम प्रसाद ने बताया कि चार दिन से वे पूरे परिवार के लोगों के साथ हाईवे पर प्लास्टिक के नीचे रह रहे हैं। घर के अंदर तीन फीट तक पानी भरा है। उनकी खोज खबर लेने वाला कोई नहीं है। इसी प्रकार हाईवे पर शरण लेने वाले शंकर महतो, राजकिशोर सिंह, राघव प्रसाद, अशरफ अंसारी सहित कई लोगों ने प्रशासनिक अधिकारियों पर भी राहत उपलब्ध नहीं कराने का आरोप रहा।