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बाढ़ का कहर – जग कर कटी रात, सुबह होते ही गांव में घुस गया पानी

मांझा के पुरैना में सारण मुख्य तटबंध टूटने की खबर ग्रामीणों को गुरुवार को आधी रात से पहले ही लग गई थी। सारण मुख्य तटबंध टूटने से एनएच के इस पार बसे देवापुर उत्तरी टोला के साथ ही एनएच 28 के दूसरी तरफ बसे देवापुर में अफरा तफरी का मच गई थी। ग्रामीण रात में ही पानी का जायजा लेने एनएच पर पहुंच गए थे। लेकिन तब तक पानी एनएच तक नहीं पहुंचा था। लेकिन पानी गांव में पानी पहुंचने को लेकर ग्रामीणों की बेचैनी पूरी रात बनी रही। देवापुर के ग्रामीणों की पूरी रात जग कर ही कट गई।
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इसी बीच उन्हें शुक्रवार की सुबह चार बजे जानकारी मिली कि पानी एनएच 28 पार के पुल से होकर इस पार तेजी से आ रहा है। एनएच के पुलिया से होकर पानी पार करने की जानकारी मिलते ही ग्रामीण अपना अपना समेट कर पलायन करने लगे। इस के ग्रामीण बताते हैं कि लोग गांव से निकल भी नहीं पाए थे कि सुबह पांच बजे खेतों को डुबोते हुए पानी गांव में प्रवेश करने लगा। दिन के आठ बजे तक गांव के निचले इलाके में बने घरों में पानी प्रवेश कर किया। निचले इलाके से होते हुए पानी की तेज धारा गांव के बीच से होकर बहने लगी। दिन के 11 बजे तक पूरे गांव में पानी भर गया। हालांकि जिस तरफ बांध टूटा है, उससे एनएच की दूसरी तरफ यह गांव बसे होने से पानी की तेज धारा इस गांव तक सीधे नहीं पहुंची। जिससे ग्रामीणों को गांव से बाहर निकलने का मौका मिल गया। गांव से निकलने के बाद ग्रामीण अपने मवेशियों के साथ शरण लिए हुए हैं। एनएच के दूसरी तरफ देवापुर का उत्तरी टोला पूरी तरह से पानी में डूब गया है। बाढ़ का पानी एक-एक गांव में घुसते हुए प्रखंड मुख्यालय बरौली को भी अपनी चपेट में ले लिया है। ग्रामीण बताते हैं कि बाढ़ का पानी लगातार बढ़ता जा रहा है। हर तरफ पानी की पानी नजर आ रहा है।
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निचले इलाके के गांवों में फंसे हुए हैं ग्रामीण:
मांझा के पुरैना के पास सारण तटबंध टूटने से गंडक नदी का कहर सबसे अधिक इसी गांव पर पड़ा है। गुरुवार को आधी रात से कुछ पहले सारण तटबंध टूटने से इस गांव में गंडक नदी का पानी तेजी से भरने लगा। हालांकि पुरौना-देवापुर के बीच गुरुवार की रात करीब आठ बजे रिग बांध टूटने के बाद इस गांव के ग्रामीण गांव छोड़कर पलायन करने लगे थे। लेकिन काफी संख्या में ग्रामीण यह सोच कर गांव में ही रख गए कि सारण तटबंध पानी के दबाव को झेल लेगा। वह नहीं टूटेगा। लेकिन ग्रामीणों की इस सोच पर तब पानी फिर गया जब आधी रात से कुछ पहले गांव के पास सारण तटबंध टूट गया। ग्रामीण संभल पाते इससे पहले ही गांव में तेजी से पानी भरने लगा। तेज से गांव में पानी भरने से गांव में रह गए ग्रामीण गांव से बाहर नहीं निकल पाए। इस गांव के साथ ही मांझा के निमुइयां, भैसहीं सहित निचले इलाके के गांवों में ग्रामीण फंसे रह गए। इन गांवों के ग्रामीण घरों की छत व मचान पर शरण लिए हुए हैं। शुक्रवार की दोपहर बाद तक निचले इलाके के गांवों में बचाव दल नहीं पहुंच सका था।
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सिधवलिया प्रखंड में भी अफरा तफरी का माहौल:
सारण तटबंध के टूटने के बाद पानी तेजी से आगे बढ़ने की जानकारी होते ही सिधवलिया प्रखंड मुख्यालय सहित पूरे प्रखंड में शुक्रवार को अफरा तफरी का माहौल बना रहा। लोग अपना अपना सामान घर की छत पर रखने में जुटे रहे। हालांकि इस प्रखंड में शाम चार बजे तक पानी नहीं पहुंचा था। लेकिन निचले इलाके में बसे लोगों के बीच बाढ़ को लेकर पूरे दिन बेचैनी बनी रही।