कुपोषण के खिलाफ जंग लड़ रही है सेविका नीरज कुमारी
• घर-घर जाकर कुपोषित बच्चों की कर रही है पहचान
• स्लोगन और पोस्टर के माध्यम से जागरूक करने का प्रयास
• बच्चों की माताओं को सुनाती है पोषण की कहानी
• कहानी के सहारे बच्चों को पोषण के लिये उपयोगी संदेश
गोपालगंज। वैश्विक महामारी कोरोना संकट में भी आंगनबाड़ी सेविका अपनी जिम्मेदारियों को बखूबी निभा रही है एवं पोषण के लक्ष्यों को हासिल करने में अपना अहम योगदान दे रही हैं। जिले के बरौली प्रखंड के हसनपुर गांव मिनी आंगनबाड़ी केंद्र संख्या 273 की सेविका नीरज कुमारी कुपोषण के खिलाफ जंग को आसान बनाने की दिशा में बेहतर कार्य कर रही है. नियमित रूप से गृह भ्रमण कर कुपोषित बच्चों की पहचान करने के साथ माताओं, बच्चों और स्थानीय लोगों को जागरूक करने में वह महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रही हैं. केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गयी पोषण अभियान का मुख्य लक्ष्य पोषण पर जन-भागीदारी बढ़ा कर इसे जनांदोलन में तब्दील करना है. नीरज कुमारी का प्रयास भी पोषण पर जन-भागीदारी को सुनिश्चित करने के साथ कुपोषण स्तर में कमी लानी है. इनके प्रयास का सकारात्मक असर देखने को मिल रहा है. इनके पोषक क्षेत्र में पोषण को लेकर सिर्फ़ जागरूकता ही नहीं बढ़ी है बल्कि यह जागरूकता लोगों के पोषण व्यहवार में भी दिख रही है.
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मॉडल पोषक क्षेत्र बनाने की मुहिम:
सेविका नीरज कुमारी पोषण अभियान को जन आंदोलन के रूप में बदलने की दिशा में निरंतर अपनी सेवा दे रही हैं। कुपोषण को कम करने के लिए स्तनपान, संपूरक आहार, मातृ पोषण और किशोरी पोषण आवश्यक है। इसे सुनिश्चित करने के लिए नीरज कुमारी अपने पोषक क्षेत्र में गृह भ्रमण एवं सामुदायिक बैठकों का सहारा लेती हैं. निरंतर सामुदायिक से संपर्क स्थापित करते रहने एवं अपनी जिम्मेदारियों के प्रति गंभीर रहने के कारण ही उनका पोषक क्षेत्र मॉडल पोषक क्षेत्रों की सूची में शामिल हो सका है.
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स्लोगन और चित्र के माध्यम से कर रही जागरूक:
पोषण स्तर में सुधार व्यवहार परिवर्तन से ही संभव होता है. इसलिए सेविका नीरज कुमारी पोषण के प्रति लोगो को जागरूक करने के लिए तरह-तरह के तरीके अपना रही है। क्षेत्र भ्रमण के दौरान बच्चों के माता पिता को स्लोगन और चित्र के माध्यम से पोषण के महत्व को समझाने की कोशिश कर रहीं है। जीने का हो यही आधार, संतुलित भोजन स्वस्थ विचार एवं सही पोषण- देश रोशन जैसे स्लोगन अब इनके पोषक क्षेत्र में बच्चों के साथ उनके अभिभावकों को भी याद को चुके हैं.
कहानी के सहारे बच्चों को पोषण के लिये उपयोगी संदेश :
सेविका नीजर कुमारी ने बताया समुदाय में पोषण को लेकर जागरूकता बढ़ी है. पहले महिलाएं स्तनपान एवं संपूरक आहार की उपयोगिता से भली-भांति परीचित नहीं थी. उन्होंने बताया आंगनबाड़ी केन्द्रों को सरकार द्वारा आहार निर्देशिका दिये गए हैं। इस आहार पुस्तिका में आवश्यक जानकारी कहानी के साथ दी गयी है, जो काफ़ी असरदार साबित हुयी है. बच्चों के पोषण के लिए अब कहानी के सहारे उपयोगी संदेश दिए जा रहें है। इससे बच्चों में कहानी के प्रति आकर्षण बना रहता है एवं साथ ही उन्हें पोषण व्यवहार की भी जानकारी मिलती रहती है.
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धैर्य के साथ खिलायें खाना:
सेविका नीरज कुमारी बताती हैं बच्चे को प्रतिदिन अनाज, दाल, सब्जियों व फलों को मिलाकर संतुलित आहार खिलायें। बच्चों को विभिन्न स्वाद एवं विभिन्न प्रकार का खाना खाने को दें क्योंकि एक ही प्रकार का खाना खाने से बच्चे ऊब जाते हैं। खाना कटोरी चम्मच से खिलाएँ। बच्चे को खाना बहुत धैर्य के साथ खिलाना चाहिये, उससे बातें करनी चाहिए। जबर्दस्ती बच्चे को खाना नहीं खिलाना चाहिए। खाना खिलाते समाय पूरा ध्यान बच्चे की ओर होना चाहिए। खिलाते समय टीवी एवं रेडियो आदि न चलाएँ।
बदल चुकी है गांव की तस्वीर:
नीरज कुमारी ने बताया उनके पोषक क्षेत्र (हसनपुर गांव) में शायद ही कोई ऐसा घर होगा जिस घर में कोई बच्चा आज कुपोषण का शिकार हो. गाँव के सभी बच्चे कुपोषण मुक्त हो चुके हैं। सेविका नीरज कुमारी बताती हैं जब गांव के बच्चों को स्वस्थ देखती हैं तो वह उत्साहित होकर अपने कार्य में पुनः जुट जाती हैं. उनका मानना है कि कुपोषण को खत्म करने के लिए लोगों की इसमें भागीदारी बहुत जरुरी है. जितने अधिक से अधिक लोग इस मुहिम में शामिल होंगे, कुपोषण को खत्म करना उतना आसान हो सकेगा.
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