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मतगणना के समय काउंटिंग सेंटर में गए थे जेडीयू सांसद, चुनाव आयोग ने मांगी सीसीटीवी फुटेज

JDU सांसद आलोक कुमार सुमन पर पर मतगणना के दौरान काउंटिंग सेंटर में जाने का आरोप है।

बिहार विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद महागठबंधन लगातार चुनाव आयोग खड़े कर रहा है। इसी बीच जनता दल यूनाइटेड (JDU) के एक सांसद पर गंभीर आरोप लगे हैं। जेडीयू सांसद पर मतगणना के दौरान काउंटिंग सेंटर में जाने का आरोप है। इसकी जांच के लिए चुनाव आयोग ने काउंटिंग सेंटर की सीसीटीवी फुटेज मांगी है। वहीं मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी ने जिले के डीएम को खत भी लिखा है।

मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी बालामुरूगन डी ने गोपालगंज जिले के डीएम सह जिला निर्वाचन पदाधिकारी अरशद अजीज से 12 नवंबर तक जिले की भोरे विधानसभा सीट के काउंटिंग सेंटर के सीसीटीवी फुटेज मांगे गए हैं। इसको लेकर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) लिबरेशन ने भी शिकायत की थी। सीपीआई मा. ले. की शिकायत के मुताबिक JDU सांसद आलोक कुमार सुमन 10 नवंबर को काउंटिंग सेंटर में घुसे जो कैंडिडेट हैंडबुक के क्लाउज 16.9 का उल्लंघन है।

इन आरोपों को खारिज करते हुए सांसद आलोक कुमार सुमन ने बताया कि वे जनता के चुने गए एक जन प्रतिनिधि हैं। वो सांसद के पद पर आसीन हैं। जिसकी एक गरिमा होती है। उन्हें पता है की किसी भी मतगणना स्थल पर एक जनप्रतिनिधि के जाने की इजाजत नहीं होती है। इसलिए उनके मतगणना हॉल में जाने का कोई सवाल ही नहीं है। वहां सीसीटीवी लगे हुए थे। निर्वाचन आयोग इन सीसीटीवी फुटेज की जांच करे। बेबुनियाद आरोप लगाने वालों पर भी कार्रवाई होनी चाहिए।

पोस्‍टल बैलेट की हेराफेरी को लेकर राजद नेता तेजस्वी यादव ने भी चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाए हैं। तेजस्वी यादव ने कहा कि जनता का फैसला महागठबंधन के पक्ष में है, लेकिन चुनाव आयोग का नतीजा एनडीए के पक्ष में गया है। तेजस्वी ने सवाल पूछा कि रात के अंधेरे में ईवीएम रखी हुई गाड़ी इधर उधर क्यों की जा रही थी। पोस्टल बैलेट की प्रक्रिया पहले होनी चाहिए थी, लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ, आखिर क्यों?

तेजस्वी ने मतदान केंद्रों की सीसीटीवी फुटेज को सीलबंद कर रखने की आयोग से अपील की है। उन्होंने कहा कि नियमानुसार 40 दिनों तक फुटेज और ईवीएम को सुरक्षित रखना है। तेजस्वी ने कहा कि आश्चर्य हो रहा है कि बड़ी तादाद में पोस्टल बैलेट्स को रद्द किया गया। बता दें कि एनडीए ने बिहार विधानसभा की 243 सीटों में से 125 सीटों पर जीत हासिल की, जबकि राजद महागठबंधन ने 110 सीटें जीतीं। जदयू को 2015 में मिली 71 सीटों की तुलना में इस बार 43 सीटें ही मिली हैं।