दियारा के निचले इलाके में गंडक नदी के बाढ़ से प्रभावित गांवों के ग्रामीणों की दुश्वारियां दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। बाढ़ प्रभावित गांवों में झोपड़ी में रहने वाले ग्रामीण तो अपना घर छोड़कर तटबंध व ऊंचे स्थानों पर शरण ले रहे हैं। सोमवार को प्रशासन की तरफ से खोले गए कम्युनिटी किचन में तटबंध व ऊंचे स्थानों पर शरण ले रहे बाढ़ पीड़ितों के लिए भोजन की व्यवस्था हो गई है, लेकिन इनके घर पक्का के हैं, वे लोग घर छोड़कर बाहर नहीं निकल रहे हैं। ये अपने घर की छतों पर शरण लिए हुए हैं। इन बाढ़ पीड़ितों के समक्ष भोजन का संकट खड़ा हो गया है। जलवान के लिए लकड़ी नहीं मिल पा रही है और ना ही रसोई गैस सिलेंडर बाढ़ प्रभावित गांवों में पहुंच पा रहे हैं। जलवान की व्यवस्था नहीं होने से घरों की छत पर शरण लिए बाढ़ पीड़ितों का चूल्हा बुझ गया है। चूड़ा तथा मीठा से इनकी भूख मिल रही है।
सदर प्रखंड के दियारा इलाके के दो दर्जन गांव बाढ़ से प्रभावित हैं। बाढ़ में फंसे ग्रामीण जैसे तैसे खाद्य सामग्री की व्यवस्था कर अपने घरों की छतों पर समय काट कर रहे है। बाढ़ प्रभावित जगीरी टोला गांव निवासी रजांती देवी ने बताया कि गंडक नदी का पानी फैल जाने के बाद जलावन के लिए रखी गई लकड़ी बर्बाद हो गई। ऐसे में घर में रखा चूड़ा तथा मीठा खाकर एक चारपाई पर बैठकर अपना दिन काट रहे हैं। रामप्रवेश सिंह ने बताया कि मवेशियों के चारा के लिए सबसे अधिक परेशानी हो रही है। चारा नहीं मिलने के कारण मवेशी को पालना मुश्किल हो गया है। गांव के लोग नाव की मदद से जिला मुख्यालय से सामान खरीद कर खाने पीने की किसी तरह से व्यवस्था कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि बाढ़ प्रभावित गांवों में रह रहे लोगों तक अब तक प्रशासन की तरफ से कोई मदद नहीं पहुंचाई गई है।
Leave a Reply