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गोपालगंज के हथुआ में 14 साल के मासूम को जंजीरों में रखने को मजबूर हैं परिजन, जानिए वजह

आखिर कौन मां-बाप चाहेगा कि वो अपने बच्चे को जंजीरों या फिर रस्सियों से बांधकर रखें। लेकिन 14 साल के इस मासूम की जिंदगी इसी तरह से जंजीरों में जकड़कर बीत रही है। चाहे सर्दी हो या गर्मी, कई साल से परिजन इस बच्चे को इसी तरह घर के सामने खाट पर बांध के रखने को मजबूर हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि ये बच्चा मानसिक रूप से कमजोर है। घरवालों को डर है कि अगर उसे खुला रखेंगे तो कहीं वो घर से कहीं बाहर न चला जाए।

घटना हथुआ अनुमंडल मुख्यालय से महज एक किलोमीटर दूर बरवा कपरपुरा गांव की है। 14 वर्षीय इस मासूम को नहीं पता कि आखिर उसका कसूर क्या है? ऐसे क्यों उसे जंजीरों में बांधकर रखा जाता है। हालांकि, बच्चे के पिता ने बताया कि उनका बेटा मानसिक तौर से विक्षिप्त है। उनकी आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं है कि उसका इलाज करा सकें। राजमिस्त्री का काम कर घर चलाने वाले बच्चे के पिता ने बताया कि उनके दो बच्चे हैं। 14 साल का बेटा और 08 साल की बेटी। बचपन से ही बेटे की स्थिति ठीक नहीं है।

बताया जा रहा कि बच्चे की इस बीमारी को पीपीडी (Paranoid personality disorder) कहते हैं। यह बीमारी बचपन में ही उम्र बढ़ने के साथ दिखने लगती है। पीड़ित बच्चे की मां ने बताया कि उनकी मजबूरी है कि वो अपने जिगर के टुकड़े को रस्सी से बांधकर रखती हैं। अगर रस्सी से बांध कर नहीं रखा जाएगा तो यह बच्चा कहीं भी भाग जाता है। इस बच्चे को इतनी समझ भी नहीं की वह कहां जा रहा है।

पीड़ित मां के मुताबिक उन्होंने अपनी हैसियत के मुताबिक वाराणसी, लखनऊ, पटना से लेकर रांची तक बच्चे का इलाज कराया। लेकिन अब तक कोई खास फायदा नहीं हुआ है। उन्हें अभी तक सरकार से इलाज के लिए कोई खास मदद नहीं मिली है। इस बच्चे को बिहार सरकार की ओर से पेंशन के तहत दिव्यांग पेंशन के रूप में 400 रुपये जरूर मिलते है। लेकिन वह भी पर्याप्त नहीं है। फिलहाल परिजनों को मदद की आस है जिससे उनके बच्चे की जिंदगी खुशहाल हो सके।

phulwariya


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