बैकुंठपुर प्रखंड के चिउटाहां गांव से जनविवतरण प्रणाली की दुकान से राशन लेने जा रहे दो सगे भाई चिउटाहां बाजार के समीप पोखरे के पास बाढ़ के पानी की तेज धारा में बहकर पोखरे में डूब गए। ग्रामीणों से घटना की जानकारी मिलने पर मौके पर पहुंचे प्रखंड विकास पदाधिकारी अर¨वद कुमार गुप्ता ने एनडीआरएफ की टीम को बुलाया। एनडीआरएफ की टीम ने पोखरे तथा उसके आसपास बाढ़ के पानी में घंटों दोनों सगे भाइयों की तलाश किया। लेकिन दोनों का कुछ पता नहीं चल सका। दो सगे भाइयों के पोखरे में डूबने से पूरे गांव को माहौल गमगीन हो गया है। स्वजनों के आंखों से आंसू थम नहीं रहे हैं।
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बताया जाता है कि चिउटाहां गांव निवासी रामेश्वर प्रसाद के पुत्र 25 वर्षीय दिनेश प्रसाद तथा 35 वर्षीय सुरेंद्र प्रसाद भगवानपुर गांव में डीलर हरेंद्र मांझी की जन वितरण प्रणाली दुकान से राशन लेने जा रहे थे। अभी दोनों भाई चिउटाहां बाजार के समीप एक पोखरे के पास पहुंचे थे कि बाढ़ के पानी के तेज बहाव में बह कर पोखरे में डूब गए। दोनों भाइयों के चिल्लाने पर मौके पर पहुंचे ग्रामीणों उन्हें बचाने का प्रयास किया। लेकिन वे उन्हें बचा नहीं सके। ग्रामीणों से सूचना मिलने पर मौके पर पुलिस के साथ पहुंचे प्रखंड विकास पदाधिकारी अर¨वद कुमार गुप्ता ने एनडीआरएफ की टीम को बुलाया। मौके पर पहुंची एनडीआरएफ की टीम ने पोखरे तथा बाढ़ के पानी में दोनों भाइयों की घंटों तलाश किया। लेकिन दोनों भाइयों का कुछ पता नहीं चल सका।
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पीएचसी सिधवलिया में एंबुलेंस चलाता था दिनेश प्रसाद:
दो सगे भाई चिउटाहां गांव निवासी 25 वर्षीय दिनेश प्रसाद तथा 35 वर्षीय सुरेंद्र प्रसाद के बाढ़ के पानी में बहने से पूरे गांव को माहौल गमगीन हो गया है। सुरेंद्र प्रसाद एलआइसी में एजेंट का काम करते थे। इनकी पत्नी रंजू देवी गांव में स्थित मिनी आंगनवाड़ी केंद्र 197 की सेविका हैं। वहीं छोटा भाई दिनेश प्रसाद प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र सिधवलिया में एंबुलेंस चालक था। एक साथ दो बेटों के बाढ़ के पानी में बह जाने से मां तेतरी देवी का रो-रो कर बुरा हाल है। पानी में डूबे सुरेंद्र प्रसाद को तीन बेटियां 15 वर्षीय पुष्पा कुमारी, 13 वर्षीय पम्मी कुमारी, 10 वर्षीय अंजली कुमारी व आठ वर्षीय बेटा विकास कुमार हैं। जबकि दिनेश प्रसाद के दो बेटे पांच वर्षीय आर्यन कुमार व तीन वर्षीय आयुष कुमार हैं। दोनों के भाइयों के पानी में बहने से इस परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। स्वजनों के चीत्कार से उन्हें ढांढस बांध रहे ग्रामीणों की आंखें भी नम हो गईं।
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