जवानी बच्चों की जिम्मेदारी उठाने में बीत गई। अब जब बुढ़ापा आया तो वृद्ध दंपती के अपने पराए हो गए। कटेया प्रखंड के सोहनरिया बाजार में फटे पुराने कपड़े से टेंट बनाकर इस कड़ाके की ठंड में दंपती अपनी जिदगी काट रहे हैं। अब स्थानीय प्रशासन की नजर दंपती पर पड़ी है। जानकारी मिलने पर सोहनरिया बाजार पहुंचे बीडीओ राकेश कुमार चौबे ने वृद्ध दंपती को कंबल और चादर दिया। उनसे बात कर उनके बारे में पूरी जानकारी लेने के बाद बीडीओ ने लाचार दंपती को सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने का आश्वासन दिया है।
बताया जाता है कि 40 साल पहले तत्कालीन प्रखंड प्रमुख दीनानाथ पाठक के कहने पर सिवान जिले के दरौंदा निवासी उमाशंकर साह अपनी पत्नी के साथ काम धंधा करने के लिए सोहनरिया बाजार आए थे। यहां उन्होंने बाजार में चाय की दुकान खोली। सोहनरिया बाजार में चाय की वह पहली दुकान थी। अपनी चाय व नाश्ता की दुकान से होने वाली आय से उन्होंने अपने एक बेटे तथा दो बेटियों का पालन पोषण कर दोनों बेटियों की शादी कर दी। दोनों बेटियों की शादी करने में जमा पूंजी खत्म हो गई। जमा पूंजी खत्म होने के बाद अपने पराए हो गए। बेटियों ने भी सुध नहीं ली। अब उमाशंकर साह टेंट बनाकर जिदगी काट रहे हैं। इनका न तो राशन कार्ड बना है और ना ही किसी भी सरकारी योजना का इन्हें लाभ मिल रहा है। इकलौता पुत्र बेरोजगारी में यायावर जिदगी जी रहा है। हालांकि, अब इस वृद्ध दंपती पर स्थानीय प्रशासन की नजर पड़ गई है। उनका दुख दूर होने की संभावना है।
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