कभी इस गांव के भी ग्रामीण हर काम के लिए सरकारी व्यवस्था पर निर्भर थे। ग्रामीण अपने घर व उसके आसपास साफ सफाई कर कूड़ा कचरा सड़क के किनारे इधर उधर फेंक देते थे। गांव के रास्ते के किनारे ही गोबर का ढेर लगा रहता था। लेकिन अब सदर प्रखंड का चौरावं गांव आदर्श गांव बन गया है। लॉकडाउन के बीच अपने घर लौटे युवकों ने खाली समय में अपने गांव चौरावं का कायाकल्प कर दिया।
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इन युवकों ने श्रमदान कर गांव में तीन प्रवेश द्वार बनाया है। गांव व उसके आसपास से गुजर रहे सभी विद्युत पोल का रंग रोगन कर कर दिया है। अपने गांव को युवकों ने सैनिटाइज कर इसे कोरोना मुक्त बना दिया है। अब गांव की स्वच्छता आखों को सुकून देती है। यहां हर तरफ रंग अपनी छंटा बिखेर रही है। युवकों की यह टोली अपने गाव में पुस्तकालय बनाने की दिशा में काम कर रही है। लॉकडाउन के बीच काम बंधा बंद होने के कारण दुश्वारियां झेलते हुए अपने गांव पहुंचे इन युवकों ने अब बाहर नहीं जाने का निर्णय लिया है। ये युवक आपस में मिलकर गांव में ही लघु उद्योग लगाने की पहल कर रहे हैं। जिले में रोजगार के अवसर कम होने के कारण हर साल काफी संख्या में युवक रोजी रोजगार के लिए पलायन करने को मजबूर होते हैं।
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इन युवकों में सदर प्रखंड के चौरावं गांव के भी बीस से अधिक युवक दिल्ली से लेकर गुजरात के सूरत में रहकर काम धंधा करते थे। इसी बीच कोरोना महामारी को लेकर पूरे देश में लॉकडाउन लग गया। लॉकडाउन में काम धंधा बंद हो जाने से चौरावं गांव के शिवजी राम, तारकेश्वर पासवान, जयराम, मोहम्मद कैश, रंजन कुमार, कैफ, अमीरुल हक, रामानंद शाह, सागर पासवान, सादिर अली, नौशाद अली, बच्चन साह, अबरार अहमद, महताब आलम, अमित कुमार, मेहदी हसन, आफताब आलम, सरजीत कुमार, अनवर हुसैन, नजमुल हसन अपने गांव आने के लिए मजबूर हो गए। घर आने के बाद खाली बैठे इन युवकों को भी आगे की चिंता सता रही थी। लेकिन ये निराश नहीं हुए। आपस में मिल कर इन्होंने अपने गांव की दशा सुधारने तथा यहां कुछ करने का फैसला किया। युवकों की इस टोली ने श्रमदान कर अपने गांव में तीन भव्य प्रवेश द्वार बनाया। गांव व उसके आसपास के सभी विद्युत पोल को रंग रोगन कर दिया। प्रतिदिन सुबह युवकों की यह टोली अपने गांव का साफ सफाई करती है। युवकों के इस प्रयास से अब चौरावं गांव आदर्श गांव बन गया है। यहां हर तरफ स्वच्छता नजर आती है।
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आपस में मिलकर लघु उद्योग लगाने का कर रहे प्रयास:
अपने गांव को आदर्श गांव बनाने के बाद अब बाहर से लौटे युवक यहीं पर लघु उद्योग लगाने की दिशा में प्रयास कर रहे है। युवकों ने बताया कि अब वे काम धंधा करने के लिए बाहर नहीं जाएंगे। उन्होंने बताया कि आपस में मिलकर के गांव में ही लघु उद्योग लगाने का प्रयास कर रहे हैं।