सासामुसा चीनी मिल आर्थिक संकट से उबर नहीं पा रही. चीनी मिल को बैंकों ने डिफॉल्टर घोषित कर दिया है. बैंकों ने चीनी मिल को किसी प्रकार का लोन भी देने से इन्कार कर दिया है. बैंकों से पहले का लिया कर्ज जमा नहीं होने के कारण बैंकों ने डिफॉल्टर की श्रेणी में चीनी मिल को डाल दिया है.
चीनी मिल की ओर से अबतक अपने रिजर्व एरिया के गन्ना का सर्वे भी शुरू नहीं किया गया है. उधर, किसानों को बकाया गन्ना पर्चियों का भुगतान नहीं मिल रहा. इससे किसान परेशान हैं. किसानों के जख्मों पर चुनाव के दिनों में आश्वासनों का मरहम लगता रहा.
चुनाव के बाद किसान के इस दर्द को भुला दिया गया. ब्रिटिश शासन काल से गोपालगंज गन्नांचल के नाम से विख्यात है. यहां किसानों की मुख्य नकदी फसल गन्ना है. आज किसान शादी-विवाह, इलाज जैसे जरूरी कार्यों के लिए भी चीनी मिल की ओर टकटकी लगाये हुए हैं. किसानों के बकाये मूल्यों का भुगतान नहीं मिलने के कारण उनमें मायूसी छायी हुई है. अकेले सासामुसा चीनी मिल में 40 करोड़ का बकाया है. पिछले ही वर्षों का लगभग 12 करोड़ का बकाया है.
चीनी मिलों की तिजोरी में किसानों की गाढ़ी कमाई बंद है. राजनीतिक दलों की ओर से भी किसानों को सिर्फ आश्वासन का मरहम लगाया जाता रहा है. मिल मालिक ने कहा, फैक्टरी को नहीं मिला सरकार से कोई सहयोग सासामुसा चीनी मिल के मालिक महमूद अली ने कहा है कि 20 दिसंबर, 2016 को हादसा हुआ और फैक्टरी में तोड़फोड़ हुई. उसके बाद फैक्टरी बंद हो गयी. तत्कालीन गन्ना विकास विभाग के मंत्री रहे खुर्शीद आलम से कई दौर की वार्ता हुई.
मंत्री ने कहा था कि आप फैक्टरी को चलाइए, हम भरपूर सहयोग करेंगे. आपको सब्सिडी का लोन, अनुदान दिया जायेगा. सरकार के भरोसे अपने दम पर फैक्टरी को किसी तरह चला दिया. सरकार से अनुदान व सब्सिडी वाले लोन की उम्मीद लगाये हैं. लेकिन, अबतक न तो लोन मिला और न ही सब्सिडी मिली. अब चीनी बेचकर किसानों और फैक्टरी मजदूरों को भुगतान दे रहा हूं. काश्तकारों और फैक्टरी के वर्करों को छोड़कर कहां जाएं.
जब तक हमारे पास क्षमता है फैक्टरी को चलायेंगे. अब तक 15 करोड़ का भुगतान भी किया हूं. बैंकों ने भी लोन देने से मना कर दिया है. फैक्टरी संकट के दौर से गुजर रही है.
चीनी मिलों पर बकाया की स्थिति
चीनी मिल ईख की खरीदारी भुगतान बकाया
सिधवलिया 65.67 लाख क्विंटल 14946.62 लाख 4028.69 लाख
हरखुआ 65.53 लाख क्विंटल 10745.18 लाख 8165.48 लाख
सासामुसा 34.38 लाख क्विंटल 1195.82 लाख 4031.00 लाख
क्यों बंद थी चीनी मिल : सासामुसा चीनी मिल में 20 दिसंबर, 2016 की आधी रात को ब्वॉयलर फटने से नौ मजदूरों की मौत हो गयी थी. जबकि, पांच अन्य गंभीर रूप से घायल हो गये थे. मिल के स्टेजिंग हाउस की स्टीम पाइप फटने से 150 डिग्री सेल्सियस पर गर्म किये जा रहे गन्ने का रस काम कर रहे मजदूरों के ऊपर गिर गया था, जिससे झुलसकर छह मजदूरों के शरीर का मांस गल गया और केवल हड्डी के अवशेष बचे थे.
उसके बाद मिल के मालिक ने भी मारे गये अपने कर्मचारियों के आश्रितों के लिए 10-10 लाख व घायलों को पांच लाख रुपये के मुआवजे का एलान किया था. लेकिन, मजदूरों को मुआवजा नहीं मिल सका. केवल आपदा प्रबंधन विभाग ने मृत कर्मियों के परिजनों को चार-चार लाख रुपये मुआवजा दिया.
चीनी मिल पर पूर्व का बकाया
2014-15 का 33.34 लाख
2015-16 का 85.26 लाख
2016-17 का 6.20 लाख
2017-18 का 1122.19 लाख
भुगतान कराना प्राथमिकता
अभी योगदान नहीं किये हैं. सासामुसा चीनी मिल के किसानों के हित को ध्यान में रखते हुए फैक्टरी को चलाने के लिए भरपूर सहयोग किया जायेगा. चीनी मिल को निर्देश दिया गया है कि वह गन्ना का सर्वे कराये, ताकि किसानों को समय पर चालान और उनके द्वारा लगायी गयी वेराइटी के अनुरूप भुगतान हो सके.
जय प्रकाश सिंह, प्रभारी ईख पदाधिकारी