जिले में ही पासपोर्ट से संबंधित सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए शहर के मुख्य डाकघर परिसर में बन कर तैयार पासपोर्ट कार्यालय के खुलने का मामला विवाद में फंस गया है। भुगतान नहीं मिलने से ठेकेदार ने बन कर तैयार पासपोर्ट कार्यालय में ताला जड़ दिया है। इस कार्यालय का उद्धाटन बीते मार्च महीने में ही होना था। लेकिन पहले लोकसभा चुनाव तथा अब भुगतान के विवाद के कारण पासपोर्ट कार्यालय अब तक नहीं खोला जा सकता है। पासपोर्ट कार्यालय बन कर तैयार हो जाने के बाद भी लोगों को पासपोर्ट से संबंधित काम के लिए सूबे की राजधानी पटना तक दौड़ लगानी पड़ रही है।
जिले से हर साल 20 हजार से अधिक युवक रोजी रोजगार के लिए खाड़ी देशों में जाते हैं। विदेश में रोजी रोजगार के लिए जाने वाले युवकों को पासपोर्ट बनवाने तथा इसका नवीनीकरण कराने के लिए पटना जाना पड़ता है। जिसे देखते हुए तत्कालीन सांसद जनक राम तथा भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष विधायक मिथेलेश तिवारी ने जिले में पासपोर्ट कार्यालय खुलवाने के लिए पहल किया। इसी बीच तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने देश के 28 जिलों में पासपोर्ट कार्यालय खोलने की अनुमति दिया। जिसमें गोपालगंज जिला भी शामिल है। विदेश मंत्रलय से स्वीकृति मिलने के बाद शहर के मुख्य डाकघर घर परिसर में पासपोर्ट कार्यालय बनाने का काम शुरू हुआ। बीते फरवरी महीने के अंतिम सप्ताह में पासपोर्ट कार्यालय बनकर तैयार हो गया। कार्यालय बन कर तैयार होने के बाद मार्च महीने में इसका उद्धाटन करने की तिथि निर्धारित की गई। लेकिन तभी लोकसभा चुनाव की अधिसूचना जारी होने से आदर्श आचार संहिता लग जाने के कारण उद्धाटन का कार्यक्रम चुनाव बाद तक के लिए टाल दिया गया।
बताया जाता है कि चुनाव के बाद अंतिम भुगतान को लेकर ठेकेदार तथा विभाग में विवाद हो गया। भुगतान नहीं मिलने के कारण ठेकेदार ने पासपोर्ट कार्यालय में ताला जड़ दिया है। जिससे पासपोर्ट कार्यालय खुलने का मामला फंस गया है। पोसपोर्ट कार्यालय बन कर तैयार हो जाने के बाद भी लोगों को पासपोर्ट से संबंधित काम के लिए पटना जाना पड़ रहा है। इस संबंध में पूछे जाने पर विधायक मिथिलेश तिवारी ने बताया कि भुगतान को लेकर हुए विवाद को मामला सुलझाने की विभागीय स्तर पर प्रक्रिया चल रही है।