प्रखंड के कोयला देवा गांव के पप्पू अपनी पत्नी व बच्चों के साथ घर लौटा है। वह गुजरात के भरुच जिले की एक कंपनी में श्रमिक के रूप में कार्यरत है। प्रतिमाह उसे 13 हजार रुपए मिलते थे। जिससे उसके परिवार का भरण पोषण हो रहा था।
मार्च महीने में जन कफ्र्यू लॉक डाउन लग जाने के उसकी कंपनी बंद हो गई। जब सैलरी बंद हो गई तो आर्थिक तंगी पप्पू को सताने लगी। जमा पैसे धीरे-धीरे खर्च होने लगे। उधर मकान मालिक अपना मकान का भाड़ा लगतार प्रतिमाह वसूलते गया। अंत में पूर्व का कमाया हुआ रुपया खर्च हो गया। स्थानीय सरकार से कभी कभार राशन उपलब्ध करा दिया जाता था। जिससे कुछ दिनों तक काम चलता था। फिर स्थिति पूर्ववत हो जाती थी। अंत में मकान मालिक अपने द्वारा दिए गए भाड़े की मकान से बाहर कर दिया। विवश होकर अपने परिवार के साथ श्रमिक स्पेशल ट्रेन का टिकट कटा कर पहुंचा। उसने बताया कि जॉब कार्ड के लिए कई बार प्रखंड कार्यालय का चक्कर लगा चुका हूं। अब तक नहीं बन पाया है। उसने बताया कि स्थिति सामान्य होने के बाद वापस काम पर लौट जाएंगे।