सदर अस्पताल में सक्रिय माफियाओं की हेराफेरी के खुलासे अब होने लगे हैं. अस्पताल में सक्रिय माफिया जख्म प्रतिवेदन से लेकर पोस्टमार्टम रिपोर्ट तक का सौदा कर रहे हैं. अस्पताल में ‘पैसा फेंको तमाशा देखो’ का खेल चल रहा है. पोस्टमार्टम रिपोर्ट व एक-एक जख्म प्रतिवेदन के लिए सौदा हो रहा है. दो मामले कोर्ट के संज्ञान में आये हैं, जिस पर सीजेएम कोर्ट काफी गंभीर है. एक मामले में तो सुनवाई शुरू हो चुकी है. दूसरा मामला जुही दहेज़हत्या का है. दोनों ही पूरे सिस्टम की पोल खोलने के लिए काफी हैं. सदर अस्पताल में पोस्टमार्टम के बाद महीनों तक इंतजार किया जाता है. कोई पार्टी आ गया तो उसे हिसाब कर पोस्टमार्टम रिपोर्ट लिखवा दिया जाता है. जब पोस्टमार्टम रिपोर्ट में पैरवी नहीं आयी तो अंत में डॉक्टर या मेडिकल बोर्ड के अधिकारी बैठकर पीएम रिपोर्ट लिखते हैं, जिससे पीड़ितों को न्याय मिलना मुश्किल हो रहा.
गोपालगंज: सदर अस्पताल में माफिया कर रहे पोस्टमार्टम रिपोर्ट का सौदा
माफियाओं के आगे प्रशासन लाचार
सदर अस्पताल में सक्रिय माफियाओं के आगे प्रशासन लाचार हो गया है. तत्कालीन एसपी अनिल कुमार सिंह ने भी पोस्टमार्टम रिपोर्ट में हो रहे विलंब पर सवाल खड़ा करते हुए तत्काल शिकंजा कसने का निर्देश सीएस को दिया था. सीएस के कड़े रुख पर स्थिति में थोड़ा-सा बदलाव आया, लेकिन फिर वही हालात उत्पन्न हो गये. मारपीट की एक घटना अस्पताल में पहुंच जाये तो वहां सक्रिय माफिया दोनों पक्षों से संपर्क बनाने लगते हैं, जहां से बात बन जाये उसके पक्ष में रिपोर्ट लिखनी तय है.
समय से पुलिस को नहीं मिल पा रही पीएम रिपोर्ट
न्याय की उम्मीद में पीड़ितों का टूट रहा भरोसा