सदर अस्पताल के एनआईसीयू वार्ड में भर्ती एक नवजात के गायब होने से परिजनों ने जमकर हंगामा किया। इस बाद में कर्मियों की पहल पर नवजात वापस मिल गया। एक दूसरी महिला उसे अपना बच्चा समझ कर घर लेकर चली गई थी तथा उस महिला का बच्चा अस्पताल में ही था। नवजात के वापस मिलने के बाद मामला शांत हो गया। बच्चा बदल जाने की जानकारी होने पर सिविल सर्जन डॉ. अशोक कुमार चौधरी मामले की जांच पड़ताल कर रहे हैं।
बताया जाता है कि मांझा थाना क्षेत्र के गौसिया गांव निवासी राज कुमार की बहन नंदनी देवी को शुक्रवार की शाम को प्रसव पीड़ा होने के बाद उन्हें प्रसव के लिए सदर अस्पताल के महिला वार्ड में भर्ती कराया गया। जहां उन्होंने एक नवजात बच्चे को जन्म दिया। बताया जाता है कि प्रसव के बाद नवजात को एसएनसीयू में भर्ती कराने की सलाह चिकित्सकों दी। जिसके बाद नवजात को परिजनों ने एसएनसीयू में भर्ती करा दिया। बताया जाता है कि शनिवार को परिजनों ने देखा कि नवजात बच्चा गायब है। बच्चे को गायब देख परिजनों ने हंगामा करना शुरू कर दिया। हंगामा की सूचना मिलने पर पहुंचे सिविल सर्जन एके चौधरी तथा नगर थाना की पुलिस ने स्वास्थ्य कर्मियों से पूछताछ करना शुरू कर दिया। पूछताछ करने के बाद पता चला कि बच्चा बदल गया है। इसके बाद नवजात बच्चों को दूसरी महिला के पास से मंगाकर उसे परिजनों को सौंप दिया गया। इस मामले को लेकर परिजनों ने आरोप लगाया है कि पैसा लेकर बच्चे को बदला गया था। पुलिस मामले की जांच पड़ताल कर रही है।
एनआईसीयू वार्ड में पैसे का चलता है खेल
एनआईसीयू वार्ड नवजात बच्चों को भर्ती कर उनका उपचार करने के लिए बनाया गया है। जहां नवजात बच्चों का उपचार करने का कार्य निशुल्क किया जाता है। लेकिन यहां तैनात नर्स व अन्य कर्मियों के द्वारा हर समय नवजात के परिजनों से रुपया की मांग की जाती है। सिधवलिया प्रखंड के रामपुर गांव निवासी सीमा देवी, भोरे बाजार निवासी सुमन देवी ने बताया कि हमलोग का नवजात बच्चा भी यहां भर्ती है। देखरेख के नाम पर जब तक एक हजार रुपये की मांग की जाती है। इस संबंध में पूछे जाने पर सिविल सर्जन ने कहा कि मुझे रुपया मांगने की जानकारी नहीं है। मामले की जांच कराई जाएगी।
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