तीसरे फेज के लॉकडाउन के दौरान बरौली में परदेस से आने वाले प्रवासी मजदूरों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। प्रखंड व नगर क्षेत्र में बने 23 क्वारंटाइन सेन्टरों पर अब तक 1704 प्रवासी मजदूर दिल्ली, महाराष्ट्र, जयपुर व अन्य प्रदेशों से रेड जोन से यहां पहुंच चुके हैं। आलम यह है कि 100 से 200 सौ की संख्या में मजदूर गांव में पहुंच रहे हैं । जहां पर इन्हें 21 दिनों के लिए क्वारंटाइन सेंटर पर रखा जा रहा है ।
प्रवासी मजदूरों की संख्या में हो रही वृद्धि के साथ प्रशासनिक व्यवस्था की पोल खुल रही है। आवश्यक सुविधा नहीं मिलने के कारण प्रवासी मजदूर नाराज हो रहे हैं। क्वारंटाइन सेंटर पर रहने वाले प्रवासी मजदूर भोजन व नाश्ता की कम मात्रा व गुणवत्ता पर हर रोज हंगामा कर रहे हैं। प्रवासी मजदूरों का कहना है कि पंचायतों में बने क्वारंटाइन सेंटर में भारी कुव्यवस्था है। जिससे संक्रमण फैलने का खतरा बढ़ गया है। न नहाने खाने की और न रहने की अलग-अलग व्यवस्था है । हाथ धोने, कपड़ा धोने की सुविधा भी नहीं है। फल व दूध तो क्वारंटाइन सेंटर पर देखने के लिए भी नहीं मिल रहा है।
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सीओ रामजीत प्रसाद सिंह ने कहा कि प्रवासी मजदूरों की संख्या बढ़ने से उनके साधन सुविधा में एकाएक परेशानी हुई है। लेकिन धीरे-धीरे सुधार किया जा रहा है।
घर के पास के सेंटर में रहने की नहीं मिल रही सुविधा : मांझागढ़ । प्रवासियों की संख्या लगातार बढ़ने से प्रखंड के क्वारंटाइन सेंटरों में अफरा -तफरी की नौबत है। प्रवासियों को पता ही नहीं चल पा रहा है कि उन्हें किस क्वारंटाइन सेंटर में जाना है। मांझा में अब तक छह क्वारंटाइन सेंटर बनाए गए हैं। जिसमें माधव हाई स्कूल मांझागढ़, कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय, मध्य विद्यालय बंगरा, उच्च विद्यालय मधुसरेया, उच्च विद्यालय धर्मपरसा में प्रवासियों को ठहराया जा रहा है। माधव हाई स्कूल, कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय, बंगरा, अमेठी में सीट के अनुरूप प्रवासी हो गए हैं। प्रवासी मजदूर अपने घर के आसपास के क्वारंटाइन सेंटर में रहना चाहते हैं। लेकिन उन्हें यह सुविधा नहीं मिल पा रही है। बीडीओ अजित कुमार ने बताया कि अब तक छह क्वारंटाइन सेंटरों में करीब 4 सौ से अधिक प्रवासियों को रखा जा चुका है । उन्हें सारी सुविधाएं दी जा रही है। प्रवासियों की संख्या प्रतिदिन बढ़ रही है।