जैसे-जैसे ठंड बढ़ रही है वैसे-वैसे प्याज के दामों में गर्मी आती जा रही है. इन दिनों शीर्ष पर पहुंच चुका प्याज का दाम फिलहाल लुढ़कने का नाम नहीं ले रहा है. शादी-विवाह में प्याज महज झलक ही दिखला रहा है. बाजार के हालात देखें तो प्याज के दाम और बढ़ने के आसार हैं. फुटकर में भाव 120 रुपये होने से दुकानों पर खरीदार नहीं आ रहे हैं. यही नहीं, सब्जी की कई दुकानों में प्याज नहीं बिक रहा है.
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गोपालगंज सब्जी मंडी में प्रतिदिन 25 ट्रक प्याज की खपत थी जो घटकर अब महज दो ट्रक पर सिमट गया है. महंगाई का तड़का होने से सब्जी व मुर्ग-मोसल्लम का स्वाद फीका पड़ रहा. अधिकतर घरों में लहसुन-प्याज नहीं खरीदा जा रहा है. ये लोग खुद को शाकाहारी बनने का दावा कर रहे है. दाम में वृद्धि से रसोई का बजट भी गड़बड़ा रहा है. जानकारों का कहना है नासिक (महाराष्ट्र) से खेप नहीं आने से यह समस्या आ रही है.
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दुकानों पर दो किलो भी नहीं बिक रहा प्याज
शहर के अलावा ग्रामीण बाजारों में प्याज दुकानदार इसे 120 रुपये किलो की दर से लोगों को बेच रहे हैं. कई दुकानों पर किलो-दो किलो प्याज भी नहीं बिक पा रहा है. बंजारी रोड में सब्जी बेचने वाले रामप्रवेश प्रसाद बताते हैं कि प्रतिदिन 50 से 60 किलो प्याज बेचते थे आज दो किलो भी नहीं बिक पा रहा है.
चिकेन-मटन के कारोबार पर भी असर
गोपालगंज में जिन चिकेन व मटन की दुकानों पर भीड़ रहती थी, वहां सन्नाटा है. यदि कोई ग्राहक आता भी है तो अपेक्षाकृत कम मात्रा में खरीदारी करता है.
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चिकेन की कीमत प्याज के लगभग बराबर है. ऐसे में शौकीनों को स्वाद लेने के लिए पहले की तुलना में दोगुना खर्च करना पड़ रहा है. मटन विक्रेता शौकत देवान के अनुसार प्याज की बढ़ती कीमतों का काफी असर पड़ा है. मटन की बिक्री करीब 70 फीसदी कम हो गयी है.
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चिकन की दुकानों पर असर ज्यादा है. यहां बिक्री में 55 फीसदी की कमी आयी है. अब तो होटलों से भी आॅर्डर कम मिल रहे हैं. अंडा विक्रेता राकेश कहते हैं, प्याज के अनुपात में अमलेट की कीमत नहीं बढ़ा सकते हैं. पुरानी कीमत पर अमलेट बेचने के लिए ही विकल्प के रूप में मूली का इस्तेमाल कर रहे हैं.