कोरोना वायरस से महामारी फैलने से रोकने के लिए पूरे देश में लॉकडाउन लगाने के बाद भी दिल्ली तथा अन्य प्रदेशों से भारी संख्या में वापस बिहार लौट रहे प्रवासियों ने जिला प्रशासन की चिता बढ़ा दी है। रविवार की रात से लेकर सोमवार को पूरे दिन 15 हजार से अधिक प्रवासी गोपालगंज पहुंच गए। भारी भीड़ के कारण उनकी इंफ्रारेड थर्मामीटर से जांच नहीं हो पा रही है। हजारों की संख्या में प्रवासी दिल्ली, हरियाणा तथा उत्तर प्रदेश समेत देश के अन्य शहरों से बिहार के विभिन्न जिले में अपने घर जाने के लिए जत्थों में बिहार की सीमा में प्रवेश कर रहे हैं। प्रशासन ने इन लोगों की जांच की व्यवस्था तो किया है। लेकिन भारी संख्या में लोगों के पहुंचने से सारी व्यवस्था धराशाई हो गई है। प्रवासियों के लगातार बिहार की सीमा में पहुंचने से एनएच 28 पर लॉकडाउन ध्वस्त हो गया है। प्रशासन स्थानीय स्वयंसेवकों के मदद से भारी संख्या में पहुंच रहे इन प्रवासियों को भोजन तथा अन्य चिकित्सकीय सुविधा उपलब्ध कराने के बाद इनका नाम पता दर्ज कर इन्हें उनके जिले में बनाए गए क्वारंटाइन सेंटरों में बसों से भेज रहा है। लेकिन यह व्यवस्था कितनी कारगर होगी, यह कहा नहीं जा सकता। बसों से जिन प्रवासी बिहारियों के उनके जिलों और प्रखंडों तक पहुंचाया जा रहा है , उनके गंतव्य तक पहुंचने से पहले ही बसों से उतर कर भागने की भी जानकारी मिल रही है।
बाहर से आ रहे लोग प्रशासन के साथ सहयोग भी नहीं कर रहे हैं। ये लोग भोजन आदि करने के बाद बसों के आने का इंतजार करने को तैयार नहीं है। काफी संख्या में प्रवासी पैदल ही अपने-अपने जिलों के लिए प्रस्थान कर रहे हैं। दिल्ली से अपने पूरे परिवार के साथ पैदल तो कहीं ट्रक चालक की मदद से बलथरी चेक पोस्ट पहुंचे इरशाद आलम कहते हैं कि चार दिन में वह यहां तक पहुंचे हैं। रास्ते में कुछ लोगों ने मदद के रूप में उन्हें खाने के पैकेट उपलब्ध करया था। यहां बस में भीड़ को देखते हुए वह आगे का रास्ता भी पैदल ही तय करने के लिए तैयार हैं । मुजफ्फरपुर निवासी रमेश बिद लखनऊ से अपने भाई के साथ घर जाने के लिए निकले हैं । रमेश बताते हैं कि बिहार की सीमा में प्रवेश करने के बाद एनएच 28 के किनारे चल रहे राहत कैंप में उन्होंने भोजन किया है। वह पिछले दो दिनों से भूखे थे । वे कहते हैं कि किसी भी तरह अपने घर अपने लोगों तक पहुंच जाऊंगा। उसके बाद कुछ और सोच लूंगा। दूसरे प्रदेशों से आ रहे अधिकांश लोगों की अपनी सोच अपनी समस्याएं तथा लॉकडाउन को धत्ता बताते हुए घर पहुंचने की आपाधापी के लिए अपने-अपने कारण है। पर, सामूहिक रूप से इतनी बड़ी संख्या में लोगों की घर पहुंचने की जद्दोजहद ने कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए चल रही जंग में पलीता लगा दिया है।
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नाम पता दर्ज करने के लिए तैनात किए गए हैं सौ कर्मी
गोपालगंज : लॉकडाउन के बीच दिल्ली समेत अन्य प्रदेशों से हो रहे बड़ी संख्या में आ रहे प्रवासियों पर नजर रखने के लिए प्रशासन ने अपनी रणनीति तैयार कर उस पर अमल शुरू कर दिया है। दूसरे प्रदेशों से आ रहे लोगों को लॉक डाउन का पालन कराने के लिए जिला प्रशासन ने एनएच 28 के किनारे जगह-जगह क्वारंटाइन सेंटर बनाया हुआ है। जहां बाहर से आने वाले लोगों को क्वारंटाइन कर उनके स्वास्थ्य की जांच की प्रक्रिया चल रही थी। इधर दो दिनों से दूसरे प्रदेशों से आने वाले विभिन्न जिलों के लोगों की संख्या में भारी बढ़ोतरी के बाद इन्हें जिले में क्वारंटाइन करना संभव नहीं है। ऐसे में जिला प्रशासन ने बलथरी चेक पोस्ट पर कर्मियों को प्रतिनियुक्त कर बाहर से आने वाले लोगों की सारी जानकारी और मोबाइल नंबर दर्ज करना शुरू किया है। इस संबंध में कुचायकोट बीडीयो दीपचंद जोशी ने बताया कि बाहर से आने वाले लोगों की भारी संख्या को देखते हुए इनके बारे में व्यक्तिगत जानकारी दर्ज की जा रही है। यह जानकारी संबंधित जिला प्रशासन को देते हुए इन लोगों को क्वारंटाइन करने में मदद किया जाएगा। इस कार्य के लिए सौ से अधिक शिक्षकों को बलथरी चेकपोस्ट, कुचायकोट प्रखंड मुख्यालय और अन्य संबंधित राहत शिविरों पर प्रतिनियुक्ति किया गया है। पंचायतों के माध्यम से कुछ राहत शिविरों में बाहर से आने वाले प्रवासी लोगों के लिए भोजन और नाश्ते की भी व्यवस्था की गई है।
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राहत शिविर से विभिन्न जिलों में भेजे गए चार हजार लोग:
दिल्ली, पंजाब सहित अन्य प्रदेशों से बिहारी प्रवासियों को रविवार से ही जिले की सीमा में प्रवेश् करने का सिलसिला शुरू हो गया। रविवार को जिला प्रशासन ने बाहर से जिले में पहुंचे पांच हजार लोगों को जिला मुख्यालय में बनाए गए सात राहत केंद्र तथा कम्यूनिटी किचेन में भेजा। यहां खाने खिलाने तथा इंफ्रारेड थर्मामीटर से जांच करने के बाद चार हजार लोगों को प्रशासन ने बसों से उनके जिलों में बने क्वारंटाइन सेंटरों के लिए भेज दिया। इसी बीच रात में बलथरी चेकपोस्ट पर बाहर से आने वाले लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा। भारी भीड़ के कारण चेकपोस्ट की व्यवस्था ध्वस्त हो गई। रात में भारी भीड़ के बीच साढ़े चार हजार लोगों का ही नाम पता दर्ज किया जा सका। अधिकांश लोग पैदल, जुगाड़ गाड़ी, ऑटो, ट्रेलर व ट्रक पर बैठकर बिना नाम पता दर्ज कराए तथा अपनी जांच कराए आगे के लिए निकल गए। सोमवार को भी पूरे दिन दूसरे प्रातों से लोगों का आने का सिलसिला जारी रहा।
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जिले में महज बीस इंफ्रारेड थर्मामीटर उपलब्ध:
स्वास्थ्य विभाग ने जिले में महज 20 इंफ्रारेड थर्मामीटर उपलब्ध कराया है। जिसे सदर अस्पातल सहित सभी सरकारी अस्पतालों में दिया गया है। इस बीच बाहर से भारी संख्या में लोगों के जिले में पहुंचने के कारण इन लोगों की इंफ्रारेड थर्मामीटर से भी जांच नहीं हो पा रही है। चिता की बात यह भी है कि बाहर से जिले में प्रवेश कर रहे लोगों ने बताया कि रास्ते में भी उनकी कहीं जांच नहीं की गई है।