शहर के मिज स्टेडियम में सीएए के विरोध में शुक्रवार को आयोजित सभा में पहुंचे लोगों की भारी भीड़ के बीच जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार ने केंद्र की मोदी सरकार पर जमकर निशाना साधा। सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि जामिया इस्लामिया विश्विद्यालय के सामने जिस तरह निहत्थे विद्यार्थियों पर गोलिया चलाई गई, मैं उसकी निदा करता हूं।
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सरकार ने आज देश का माहौल खराब कर रखा है। सरकार ने देश में हिदू मुसलमान की दोस्ती तोड़ने की कोशिश की है। सरकार नाथूराम को मानती है और हम गांधी जी को मानते हैं। उन्होंने कहा कि यह वही धरती है, जहां भारत के चार सिपाही हिदू, मुस्लिम, सिख, इसाई बसते हैं। सरकार ने एनआरसी के नाम पर जो यह खेल रचा है, यह बहुत खतरनाक है। आज सीए का विरोध करने वाले एनआरसी के खिलाफ नहीं है, वे नागरिकता छीनने के खिलाफ हैं। उन्होंने कहा कि असम में 19 लाख लोगों के नाम एनआरसी के नाम पर बाहर कर दिए गए। जब सरकार को पता चला कि वहां 15 लाख गैर मुसलमान हैं तो सरकार के कान खड़े हुए। आज पूरे देश में एनआरसी लागू होने की बात की जा रही है तो आप समझ सकते हैं कि देश से कितने लोग बाहर हो जाएंगे। मेरा नाम अगर कन्हैया कुमार है और मेरा नाम एनआरसी में नहीं आता है तो सीएस के तहत तहत तेरा नाम जोड़ दिया जाएगा। लेकिन जो लोग अपना नाम साबित नहीं कर पाएंगे, उनके नाम किस तरह जोड़ा जाएगा। उन्होंने कहा कि आज रोजगार, स्वाथ्य, शिक्षा मुद्दा है। मोदी सरकार ने तीन करोड़ 16 लाख लोगों की नौकरी छीन लिया। सरकार ने अभी तक हमारे खाते में 15 लाख रुपया नहीं डालें , दो करोड़ लोगों को नौकरी नहीं मिली।
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एनआरसी को गरीब लोगों पर सबसे ज्यादा असर पड़ेगा। जो लोग अपना नाम एनआरसी में साबित नहीं कर पाएंगे उन्हें सरकार एनआरसी से बाहर कर देगी। उन्होंने लोगों का आह्वान किया कि वे एनपीआर में नाम दर्ज करने कर्मी आएं तो उनको अपने पिता का नाम मत बताएं तथा उन्हें वापस लौटा दें। जनविरोधी कानून का विरोध करना देशभक्ति है, इसका समर्थन करना देशद्रोह है। उन्होंने कहा जनविरोधी काननू लाने वाली इस सरकार को मानने से इंकार कर दें। सभा को शकिल अहमद, राजद जिलाध्यक्ष रियाजुल हक राजू, पूर्व विधायक मोहम्मद नेमतुल्ला ने भी संबोधित किया।