वैसे तो सरकार के स्तर पर योजना बनी थी कि गरीबों को उनके लिए प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण के तहत अपना आवास उपलब्ध कराया जाए। लेकिन लंबी अवधि बीतने के बाद भी जिले में लक्ष्य को प्राप्त नहीं किया जा सका है। कई प्रखंडों में प्रथम व द्वितीय किस्त की राशि प्राप्त करने के बाद भी आवासों का निर्माण कार्य नहीं कराया जा सका है। ऐसे में तीन साल की लंबी अवधि बीतने के बाद भी 1116 गरीबों का आवास पूृर्ण नहीं हो सका है।
आंकड़ों के अनुसार केंद्र सरकार ने पूर्व से चल रही इंदिरा आवास योजना के स्वरूप में परिवर्तन कर प्रधानमंत्री आवास योजना के नाम से ग्रामीण इलाकों में गरीबों के लिए आवास निर्माण कराने की योजना तैयार की थी। इस योजना की शुरुआत जिले में वर्ष 2016-17 से की गई। वर्ष 2016-17 व वर्ष 2017-18 के दौरान इस योजना के तहत जिले में 7321 गरीबों को अपना आवास उपलब्ध कराने का लक्ष्य निर्धारित किया गया। इसके तहत लाभूक को एक लाख 20 हजार की राशि दिए जाने का प्रावधान किया गया। यह राशि लाभुकों को तीन किस्त में दी जानी थी। ताकि निर्धारित अवधि में आवासों का निर्माण कार्य पूर्ण कराया जा सके। योजना के प्रारंभ में तो कुछ गति रही। लेकिन बाद के वर्षों में योजना पर सुस्ती का ग्रहण लगने लगा। इसका नतीजा यह रहा कि आवास निर्माण की रफ्तार सुस्त हो गई। वर्ष 2019 के अंत में जब सरकार का दबाव बढ़ा तो योजना में कछ तेजी आयी। लेकिन इसके बाद भी 1116 आवासों का निर्माण कार्य अधूरा रह गया। प्रशासनिक आंकड़ों के अनुसार जिले में अब भी करीब दस प्रतिशत पुराने आवासों का निर्माण कार्य पूर्ण नहीं हो सका है।
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प्रथम किस्त में ही फंसे 200 से अधिक आवास
गोपालगंज : प्रशासनिक आंकड़ों के अनुसार प्रथम किस्त की राशि दिए जाने के बाद ही दो सौ से अधिक आवासों का निर्माण कार्य फंस गया है। अलावा इसके करीब 400 ऐसे लाभुक हैं जिन्होंने दूसरे किस्त की राशि प्राप्त करने के बाद भी आवास निर्माण कार्य को गति नहीं दी।
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क्या कहते हैं अधिकारी
वर्ष 2016-17 व 2017-18 में लक्ष्य के विरुद्ध पूरे जिले में 90 प्रतिशत से अधिक आवासों का निर्माण कार्य पूर्ण कर लिया गया है। लॉकडाउन के कारण आवास निर्माण में कुछ सुस्ती आयी थी। अब तेजी से लंबित आवासों का निर्माण पूर्ण करने का निर्देश जारी किया गया है।
सज्जन आर, उप विकास आयुक्त