जिला एवं सत्र न्यायाधीश शैलेंद्र कुमार की कोर्ट ने दहेज हत्या के एक 12 साल पुराने मामले में मृतका के पति को फांसी व गोतनी को उम्रकैद की सजा सुनाई है। सजा सुनाए जाने के बाद दोनों को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। मांझागढ़ थाने के दुलदुलिया गांव के अब्दुल जब्बार की बेटी संजीदा खातून की शादी वर्ष 2003 में थावे थाने के हरदिया गांव के मकसूद आलम उर्फ वकील अहमद के पुत्र नसरुद्दीन उर्फ लालू के साथ हुई थी। शादी के बाद से ही उसे मोटरसाइकिल के लिए प्रताड़ित किया जाने लगा। अंत मे दहेज की मांग पूरी नहीं होने पर 17 मार्च 2007 को संजीदा की जहर देकर हत्या कर दी गई। उसके शव को निजी कब्रिस्तान में दफना दिया गया था। मामले में मृतका के पिता के बयान पर उसके पति, ससुर व गौतनी सलामुनेसा के खिलाफ थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई थी। बाद में संदेह होने पर पुलिस ने उसके शव को कब्र से खोदकर बाहर निकालकर पोस्टमार्टम कराया गया व बिसरा को जांच के लिए भेजा गया था। जांच से उसके शरीर में अत्यधिक विषाक्त पदार्थ पाए जाने की पुष्टि हुई। सुनवाई के दौरान ही मृतका के ससुर की मृत्यु हो गई थी। अभियोजन पक्ष से एपीपी सुरेश द्विवेदी व बचाव पक्ष से अधिवक्ता रविन्द्र सिंह व सेराज अहमद की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने मृतका के पति नसरुद्दीन उर्फ लालू को फांसी व उसकी गोतनी सलामुनेशा को उम्रकैद की सजा सुनाई। दोनों को 26 मार्च को ही कोर्ट ने दोनों को दोषी करार दिया था।