राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 28 तथा जिले की अन्य सड़कों पर यात्रा सुरक्षित नहीं रह गई है। छुट्टा पशु, सड़क पर गड्ढे और हाई स्पीड हादसों का कारण बन रही है। आंकड़े बताते हैं कि माह मई व जून में सड़क हादसों की संख्या में बढ़ गई है। पिछले 45 दिनों में हाइवे सहित अन्य सड़कों पर 35 हादसे हुए। जिनमें 19 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी। इन हादसों में तीन दर्जन से अधिक लोग घायल हुए।
जिले में यहां यातायात की व्यवस्था अभी तक ठीक नहीं हो सकी है। सड़कों पर फर्राटा भरते वाहनों के बीच हर दिन दुर्घटनाएं हो रही हैं। इन दुर्घटना में हर वर्ष दर्जनों लोगों की जान जाती है। दर्जनों लोग प्रति वर्ष दुर्घटना में घायल होकर अपंग हो जाते हैं। बावजूद इसके दुर्घटनाओं पर लगाम के लिए बेहतर व्यवस्था करने की अब तक पहल नहीं की गई है। प्रति वर्ष वाहनों की संख्या में तो वृद्धि हो रही है, लेकिन यातायात व्यवस्था को बेहतर बनाने की कवायद अबतक करीब शून्य ही है। जिले में स्थित राष्ट्रीय उच्च पथ संख्या 28 पर 40 प्रतिशत इलाके में यातायात संकेतक नहीं है। इस सड़क को अभी फोन लेन बनाने का काम चल रहा है। कमोवेश यहीं स्थिति शहरी इलाकों में भी नजर आती है। स्कूल-कॉलेज, अस्पताल आदि के पास कुछ चिन्हित स्थानों को छोड़ अन्य स्थानों पर संकेतक इस जिले में देखने को नहीं मिलते हैं।
असावधानी दुर्घटनाओं की बड़ी वजह:
हाइवे सहित तमाम स्थानों पर होगी वाली दुर्घटनाओं की बड़ी वजह वाहनों की तेज रफ्तार तथा असावधानी है। वाहनों के परिचालन में नियमों का उल्लंघन व दोषी वाहन चालकों की पहचान कर उनपर कार्रवाई का अभाव, भी एक कारण है। आलम यह है कि यहां यातायात के नियमों की जांच के नाम पर महज कोरम पूरा किया जाता है। प्रशासनिक स्तर पर कभी भी इसके लिए कोई अभियान नहीं चलाया जाता। यातायात नियमों के उल्लंघन के कारण आए दिन हादसे होते हैं। बावजूद इसके इस व्यवस्था को दुरुस्त करने की कवायद आज तक नहीं की जा सकी है। सड़क हादसे से बचने के उपाय
– निर्धारित स्पीड से वाहनों का संचलन हो।
– हाइवे पर जगह-जगह स्पीड नियंत्रण का बोर्ड लगे।
– लोगों को यातायात नियमों के प्रति जागरूक करें।
– वाहनों की समय-समय पर फिटनेस जांच हो।
– हाइवे पर वाहनों की गलत पार्किंग पर रोक लगे।