हथुआ-भटनी रेलखंड के विद्युतीकरण को पीएम नरेंद्र मोदी मंजूरी दे चुके हैं. इसके बावजूद यह रेलखंड अपने विद्युतीकरण की बाट जोह रहा है. इस रेलखंड के स्टेशनों पर टिकट भी मोमबत्ती की रोशनी में काटा जाता है. ऐसे में लालू के ड्रीम प्रोजेक्ट को अंधेरे से उबारने की कोशिश भी नहीं हो रही. अब हालात ऐसे हो चुके हैं कि इस रेलखंड पर बने स्टेशनों पर पशु आराम फरमाते नजर आते हैं या फिर यहां जुआरी अपना दांव लगाते हैं.
यह कहानी हथुआ-भटनी रेलखंड के फुलवरिया स्टेशन की है. एक दशक पूर्व में इस स्टेशन का उद्घाटन तत्कालीन रेलमंत्री लालू प्रसाद यादव ने किया था. फुलवरिया के लोगों को रेल की सौगात देने वाले लालू प्रसाद के कार्यकाल में फुलवरिया रेलवे स्टेशन को ऐसे सजाया गया था, जैसे यह कोई रेलवे स्टेशन नहीं बल्कि पर्यटन स्थल हो. स्टेशन पर हर सुविधा मौजूद थी. अद्भुत लाइटिंग के कारण रात में भी दिन का नजारा दिखता था. टिकट काउंटर, आरक्षित टिकट काउंटर के साथ रेलवे कर्मचारियों के रहने के लिए आवास की व्यवस्था की गयी थी.
2005 में इस रेलखंड का शुरू हुआ था निर्माण :
08 जुलाई, 2005 को इस क्षेत्र के लोगों के लिए ऐतिहासिक दिन साबित हुआ था. जब मीरगंज के साहु जैन स्कूल से लालू प्रसाद ने इस रेलखंड के निर्माण की घोषणा की थी. भटनी रेलखंड 79.69 किलोमीटर की दूरी में पसरा है, लेकिन इसके निर्माण कार्य पर पंचदेवरी में जाकर ब्रेक लग चुका है. 84.90 करोड़ की राशि खर्च कर इस रेलखंड के विकास की बात कही गयी है, जिसे मार्च, 2019 तक पूरा भी करना है. लोगों के बीच यह भरोसा भी है कि लालू के ड्रीम प्रोजेक्ट पर मोदी की मुहर लगने से इस रेलखंड के दिन जरूर बहुरेंगे.
लालू के रेलमंत्री से हटते ही उपेक्षित हुआ रेलखंड:
हालात ऐसे बदले कि हथुआ-भटनी रेलखंड पर फुलवरिया रेलवे स्टेशन अब वीरान हो चुका है. जिस ट्रेन का परिचालन लालू प्रसाद के कार्यकाल में शुरू हुआ, उसके बाद कोई दूसरी ट्रेन इस रेलखंड पर नहीं चली. स्टेशन पर टिकट भी मोमबत्ती की रोशनी में काटा जाता है. स्टेशन पर बिजली और एक बड़े जेनेरेटर की व्यवस्था तो है लेकिन खराब हो चुकी लाइटों को बदलने वाला भी कोई नहीं है. आये दिन यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ता है. टिकट काउंटर पर बैठे बुकिंग क्लर्क को भी फजीहत झेलनी पड़ रही है. एक-एक कर इस स्टेशन पर तैनात रेलकर्मियों को विभाग ने वापस बुला लिया.
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