सूबे के किसान इस समय संकट के दौर से गुजर रहे हैं। सुखाड़ का संकट झेल रहे किसानों के खाते में कृषि इनपुट सब्सिडी अगले 15 नवम्बर तक भेज दी जाएगी। बिहार की एनडीए सरकार किसानों के साथ है। उन्हें हर संभव सहायता उपलब्ध कराई जा रही है। पहले विभागीय आकलन के बाद 23 जिलों के 206 प्रखंडों को सूखाग्रस्त घोषित किया गया था। इसमें गोपालगंज के सिर्फ छह प्रखंड शामिल थे। अब तक 24 जिले के 275 प्रखंडों को सूखाग्रस्त घोषित किया गया है। इसमें गोपालगंज के शेष आठ प्रखंड भी शामिल हैं। अब पूरे जिले को सूखाग्रस्त घोषित कर दिया गया है। उक्त बातें प्रदेश के कृषि मंत्री प्रेम कुमार ने रविवार की रात जिले के कृषि समन्वयकों,किसान सलाहकारों व विभागीय अधिकारियों के साथ कृषि योजनाओं की समीक्षा के दौरान कही। उन्होंने बताया कि सिंचाई पर आधारित खेती करने वाले किसान को प्रति हेक्टेयर 13 हजार 582 रुपए सब्सिडी दी जाएगी। वर्षा पर आधारित फसलों के लिए प्रति हेक्टेयर 68 सौ रुपए की सब्सिडी दी जाएगी। केले व गन्ने की खेती करने वाले किसानों को प्रति हेक्टेयर 18 हजार रुपए की सब्सिडी देने की व्यवस्था की गई है। बैठक में जिला कृषि पदाधिकारी सुरेश प्रसाद भी उपस्थित थे। जलवायु परिवर्तन के कारण बढ़ी परेशानीकृषि मंत्री ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के कारण किसानों के समक्ष विकट स्थिति उत्पन्न हो गई है। वे स्वयं जिलों का दौरा कर किसानों की समस्याओं का जायजा ले रहे हैं। आने वाले दिनों में संकट और गहराने की आशंका है। इसके लिए सरकार मौसम अधारित खेती पर जोर दे रही है। ताकि किसानों के लिए खेती लाभकारी हो सके। दूसरे चरण में इन प्रखंडों को किया गया सूखाग्रस्त घोषितगोपालगंज के सिधवलिया,बरौली,मांझा,गोपालगंज,थावे,कुचायकोट,भोरे व कटेया प्रखंडों को दूसरे चरण में सूखा ग्रस्त घोषित किया गया है। जबकि पहले चरण में फुलवरिया,बैकुंठपुर,उचकागांव,हथुआ,पंचदेवरी व विजयीपुर को सूखाग्रस्त प्रखंड घोषित किया गया था। 88 हजार हेक्टेयर में लगी फसल प्रभावितजिले के 01 लाख 29 हजार किसानों ने 88 हजार हेक्टेयर में धान की खेती की है। विभाग ने इस बार 27 सौ 34 किलो ग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से जिले में करीब ढाई लाख एमटी चावल उत्पादन का लक्ष्य तय किया था। पिछले पांच वर्षों में सबसे कम बारिशकृषि विभाग के आंकड़ों के अनुसार पिछले पांच वर्षों के दौरान जिले में दूसरी बार सबसे कम बारिश इस वर्ष हुई है। सितम्बर 2014 में जिले में 150 एमएम बारिश हुई थी। वर्ष 15 में घटकर 41 एमएम बारिश रिकार्ड की गई थी। सितम्बर 2016 में 222 की जगह 313.40 एमएम बारिश रिकार्ड की गई थी। 2017 के हथिया नक्षत्र में 162 एमएम बारिश हुई थी। वहीं इस वर्ष यह मात्र 49 एमएम बारिश हुई है। इधर पिछले दो महीने से जिले में एक भी सिंचाई लायक बारिश नहीं होने से किसानों की परेशानी बढ़ गई है।