बात एनएच 28 से ही शुरू करते हैं। कुचायकोट के करमैनी रेलवे ढाला पर इस हाईवे पर ओवरब्रिज बनाने का काम चल रहा है। इसके आगे और पीछे भी इस सड़क को फोर लेन बनाने का काम हो रहा है। कहीं मिट्टी का ढेर तो कहीं टूटी सड़क। कुचायकोट के भठवां से करमैनी ढाला से होकर गुजरने वाले वाहन चालकों के नाक में सांस के साथ डस्ट समा रही है। लेकिन इस हाईवे से गुजरने वाले लोगों को उड़ रहे डस्ट से होने वाली परेशानी की तरफ निर्माण एजेंसी से लेकर संबंधित विभाग उदासीन बना हुआ है। यह तो एक उदाहरण भर है। जिले में टूटी फूटी या निर्माणाधीन सड़कों पर डस्ट से होने वाले परेशानी को राहगीरों को बचाने के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। ऐसा तब है जबकि निर्माण के दौरान वैकल्पिक व्यवस्था करने का भी प्रावधान है। जहां निर्माण कार्य चल रहा हो वहां मिट्टी पर टैंकर से पानी डालने की व्यवस्था एजेंसी को करनी है। वैकल्पिक रास्ते पर खड़ंजा लगाना भी है। लेकिन इन मानकों की अनदेखी की जा रही है।
जिले से दो नेशनल हाईवे गुजरते हैं। एनएच 28 तथा एनएच 85। इन दोनों हाईवे का निर्माण कार्य अभी पूरा नहीं हुआ है। ऐसे में हाईवे पर कहीं मिट्टी गिराई गई है तो कहीं ओवरब्रिज का निर्माण कार्य चल रहा है। जहां जहां कार्य चल रहा है वहां वाहनों के गुजरने पर धुल भरे डस्ट से वाहन चालकों को परेशानी झेलनी पड़ रही है। धूल के गुबार के बीच से होकर राहगीरों को निकला पड़ता है। ऐसा तब है जबकि डस्ट न फैले इसके लिए भी प्रावधान किए गए हैं। लेकिन जिले में कहीं भी इस प्रावधान का पालन नहीं किया जा रहा है। जनरेटर उगल रहे जहर, नहीं होती है प्रदूषण की जांच
हालांकि अब बिजली की स्थित ठीक होने से जनरेटर से धुआं उगलना कुछ कम हुआ है। लेकिन अभी भी शहर से लेकर कस्बाई बाजारों मे जनरेटर से निकलने वाला धुआं हवा में जहर घोल रहे हैं। अगर आंकडों की बात करते तो जिला मुख्यालय तथा तीन नगर पंचायत मीरगंज, बरौली तथा कटेया में चार हजार से अधिक जनरेटर लगाए गए हैं। हालांकि बड़े प्रतिष्ठानों साइलेंट जनरेटर लगाए गए हैं। लेकिन इनकी संख्या काफी कम है। लग्न के इस मौसम में तो हर शादी समारोह में जनरेटर धुआं उगल रहे हैं। हालांकि जनरेटर संचालक के लिए नगर निकायों में निबंधन कराना आवश्यक है। लेकिन यहां बिना निबंधन के ही जनरेटर के सहारे बिजली की सप्लाई दी जा रही हैं। इसी के साथ ही जनरेटर के धुआं के साथ हवा में जहर फैल रहा है।
साइलेंट जनरेटर को भी अब चलाने की अनुमति दी गई है। बिजली सप्लाई की स्थित ठीक होने के कारण अब जनरेटर की संख्या कम हो गई है। समय समय पर जनरेटर के प्रदूषण की जांच की जाती है। मानक से अधिक प्रदूषण पाए जाने पर जनेटर का संचालन बंद करा दिया जाता है। पिछले साल 40 जनरेटर संचालक पर प्रदूषण का मानक पूरा नहीं करने पर कार्रवाई की गई है।
हरेंद्र चौधरी, चेयरमैन नगर परिषद