गोपालगंज जिले के कटेया प्रखंड के धरहरा मेला गांव के होनहार युवा वैज्ञानिक डॉक्टर अंशुमान भारद्वाज को मंगल ग्रह मिशन में शामिल किया गया है। मिशन मंगल ग्रह पर यह शोध करेगा कि पानी अपने तरल रूप में बना रह सकता है या नहीं। शोध सफल हुआ तो मंगल पर जीवन की संभावना को बल मिलेगा।
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टीम में सबसे युवा वैज्ञानिक
स्वीडन की लूलियॉ यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी में वायुमंडलीय अनुसंधान विभाग में प्रोफेसर डॉक्टर अंशुमान भारद्वाज का चयन यूरोपीय स्पेस एजेंसी के एक्सोमार्श मिशन के लिए किया गया है।
मिशन के तहत एजेंसी अगले साल मंगल ग्रह पर पानी तरल रूप में रह सकता है, या नहीं, इसपर शोध करने को हैबिट उपग्रह भेजेगी। मिशन के लिए चयनित टीम में डॉक्टर अंशुमान भारतीय मूल के एकमात्र और सबसे युवा वैज्ञानिक हैं।
बिहार और दिल्ली में पूरी की पढ़ाई
कटेया प्रखंड के धरहरा मेला गांव निवासी शिक्षक नरेंद्रधर द्विवेदी व मां नवोदय विद्यालय की शिक्षिका डॉ. माया मिश्रा के पुत्र डॉ. अंशुमान भारद्वाज की इंटर तक की शिक्षा नवोदय विद्यालय, वृंदावन, बेतिया में हुई है।
इसके बाद उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से बायो मेडिकल से स्नातक की डिग्री ली और शोध किया। शोध पूरा होने पर उनका चयन डीआरडीओ में वैज्ञानिक के रूप में हुआ। डेढ़ साल बाद उनका चयन स्वीडन की लूलियॉ यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी में प्रोफेसर पद पर हुआ।
शोध तय करेगा मंगल पर जीवन की संभावना
अगर हैबिट उपग्रह के माध्यम से पानी को तरल रूप में रखने का मिशन सफल रहा तो भविष्य में मंगल ग्रह पर मानव को बसाया जा सकता है। तरल अवस्था में पानी की उपस्थिति को मंगल ग्रह पर सूक्ष्म जीवन की संभावना से भी जोड़ा जा रहा है। डॉक्टर अंशुमान भारद्वाज ने अपनी इस सफलता का श्रेय माता-पिता को दिया है।