फिटनेस प्रमाण पत्र के प्रति बरती जा रही उदासीनता अब वाहन मालिकों पर भारी पड़ेगी। परिवहन विभाग अब वाहनों के फिटनेस की जांच करने के लिए अभियान चलाएगा। जांच के दौरान फिटनेस प्रमाण पत्र नहीं मिलने पर वाहन मालिकों पर कार्रवाई की जाएगी। दुर्घटना होने पर फिटनेस प्रमाण पत्र नहीं होने पर वाहन मालिकों के खिलाफ प्राथमिकी भी दर्ज कराई जा सकती है।
व्यवसायिक वाहनों के पंजीकरण के समय ही दो साल के लिए फिटनेस प्रमाण पत्र बनता है। दो साल बाद प्रत्येक साल वाहन मालिकों को अपने वाहन का फिटनेस प्रमाण पत्र बनाना होता है। इसी तरफ गैर व्यवसायिक वाहनों का पंजीकरण के समय 15 साल का फिटनेस प्रमाण पत्र बनता है। फिटनेस प्रमाण पत्र की अवधि समाप्त होने के बाद दूसरा फिटनेस प्रमाण पत्र बनाना अनिवार्य है। लेकिन वाहन मालिक फिटनेस प्रमाण पत्र बनवाने के प्रति उदासीनता बरत रहे हैं। जिला परिवहन पदाधिकारी ने बताया कि अक्सर जांच में विद्यालयों, अस्पतालों तथा निजी संस्थानों में चलने वाले वाहनों के पास फिटनेस प्रमाण पत्र नहीं मिलता है। इसके साथ ही निजी वाहन मालिक भी फिटनेस प्रमाण पत्र के प्रति उदासीनता बरत रहे हैं। जिसे देखते हुए अब वाहनों के फिटनेस प्रमाण पत्र की जांच के लिए अभियान चलाया जाएगा। जांच में फिटनेस प्रमाण पत्र नहीं मिलने पर वाहन मालिक पर कार्रवाई की जाएगी। बॉडी से लेकर सीट तक ही होगी जांच
फिटनेस प्रमाण पत्र बनाने से पहले वाहन के बॉडी से लेकर सीट तक ही जांच की जाएगी। वाहन की पूरी बॉडी, इंजन, सीट, चेंचिस की स्थिति, क्लच, ब्रेक, एक्सीलेटर, हेडलाइट, फाग लाइट, इंडीकेटर, फर्स्ट एड बाक्स, डेंट पेंट, नंबर प्लेट तथा प्रदूषण की स्थित की जांच करने के बाद ही वाहनों का फिटनेस प्रमाण पत्र निर्गत किए जाने का प्रावधान परिवहन विभाग की ओर से किया गया है।