परिवहन कार्यालय में एक दशक पहले से दलालों का नेटवर्क कायम है. कार्यालय से बाबू से लेकर साहब तक की भूमिका संदिग्ध है. इनके इशारे पर दलाली का कार्य चरम पर था. डीएम गोपनीय कार्यालय में मनरेगा के पीओ के साथ बैठक की तैयारी में थे. बैठक शुरू होने वाली थी तभी किसी ने फोन किया और डीएम निकलकर परिवहन कार्यालय पहुंच गये, जहां दलाली के एक बड़े नेटवर्क का खुलासा हुआ है.
दलाल की गिरफ्तारी के बाद उसके पास से बरामद दस्तावेजों की जांच शुरू हो गयी है. संभावना जतायी जा रही है कि जारी किया गया ड्राइवरी लाइसेंस एवं उसके कागजात फर्जी भी हो सकते हैं. जिन लोगों के आधार कार्ड उसमें लगे हैं उनसे भी पूछताछ की तैयारी की जा रही है.
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साहब के करीबियों पर भी हो सकती है कार्रवाई
साहब के करीबियों पर भी गाज गिर सकती है. चर्चाओं पर यकीन करें तो करीबी के माध्यम से ही दलाल यहां सक्रिय थे. इस कार्रवाई से आम लोगों ने राहत की सांस ली है. कार्यालय में डीएल बनवाने से लेकर अन्य कार्य के लिए जाते ही बाबू सीधे दलालों के पास भेज देते थे, जहां अपना हिसाब किताब लेकर दलाल काम कराने का ठेका लेते थे.
जानकार बताते हैं कि पहले डीएल बनवाने के लिए सुविधा शुल्क एक हजार रुपये तय था. एक जनवरी से दो सौ रुपये बढ़ा दिया गया. 12 सौ रुपये जमा कर आसानी से डीएल बनवाते थे. राशि नहीं देने वाले कानून के पेच में उलझ कर रह जाते थे.
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अधिकारियों की भूमिका की हो रही जांच : डीएम
डीएम अरशद अजीज ने बताया कि परिवहन कार्यालय में दलालों का नेटवर्क सामने आया है. परिवहन कार्यालय के बाबू और अधिकारियों की भूमिका की जांच की जा रही है. फिलहाल अधिकारी या बाबू के खिलाफ कुछ खास साक्ष्य नहीं मिले हैं. जांच की जा रही है. जांच में दोषी पाये जाने पर कार्रवाई की जायेगी.