गंडक कॉलोनी में मुख्य अभियंता के आवास पर जला दिए जाने के बाद गोरखपुर में इलाज के दौरान ठेकेदार रामाशंकर की मौत होने से शहर में राजेंद्र नगर स्थित उनके आवास पर शुक्रवार को सन्नाटा पसरा रहा। इस बीच जनप्रतिनिधि से लेकर दियारा इलाके के ग्रामीण उनके आवास पर पहुंच कर परिजनों को सांत्वना देते रहे। ठेकेदार रामाशंकर सिंह सदर प्रखंड के जादोपुर थाना क्षेत्र के कटघरवा पंचायत के खाप मकसूदपुर गांव के मूल निवासी थे। अब दियारा इलाके का खाप मकसूदपुर गांव गंडक नदी के कटाव से नदी में विलीन हो चुका है।
बताया जाता है कि अपने गांव में खाप मकसूदपुर में रहकर खेती बारी करने वाले रामाशंकर सिंह साल 1985 में दियारा इलाके से निकल कर तत्कालीन सदर विधायक सुरेंद्र सिंह के पास पहुंचे थे। विधायक से मिलकर उन्होंने अपने घर की माली हालत के बारे में जानकारी दी थी। उनकी बात सुन कर विधायक सुरेंद्र सिंह ने उन्हें बैकुंठपुर के तत्कालीन विधायक ब्रजकिशोर नारायण सिंह के पास भेज दिया। विधायक की पहल पर रामाशंकर सिंह को एक छोटा ठेका मिला। रामाशंकर सिंह ने लगन और मेहनत से निर्धारित अवधि के अंदर ही कार्य पूरा कर दिया। इसके बाद रामाशंकर सिंह ठेकेदारी में आगे बढ़ते चले गए। ठेका पट्टी में धाक जमाने के बाद इन्होंने भाई शिवशंकर सिंह को भी अपने साथ लेकर उन्हें ठेकेदारी में आगे बढ़ाने लगे। समय के साथ दोनों भाइयों की कंस्ट्रक्शन के क्षेत्र में उत्तर बिहार में एक अलग पहचान बन गई। दोनों भाई राजेंद्र नगर में ही अपना आवास बनाकर रहने लगे। राजेंद्र नगर मोहल्ले के कुछ लोगों ने बताया कि उत्तर बिहार के बड़े ठेकेदारों की श्रेणी में आने के बाद भी रामाशंकर सिंह साधारण व्यक्ति की तरह रहते थे। इनका कभी किसी से विवाद नहीं हुआ था। मुख्य अभियंता आवास में ठेकेदार रामाशंकर सिंह को जला दिए जाने तथा इलाज के दौरान इनकी मौत से राजेंद्र नगर के निवासियों को भी गहरा सदमा लगा है।
रामाशंकर सिंह का अपने गांव से गहरा था लगाव:
साल 1985 में गांव छोड़ने के बाद रामाशंकर सिंह कंस्ट्रक्शन के क्षेत्र में समय के साथ आगे बढ़ते गए। लेकिन इसके बाद भी इनका अपने गांव से काफी गहरा लगाव था। दियारा इलाके के खाप मकसूदपुर गांव में रह रहे पिता लक्ष्मी सिंह तथा मां से मिलने हमेशा अपने गांव जाते थे। दियारा के निवासी पंकज सिंह राणा ने बताया कि कंस्ट्क्शन के क्षेत्र में बड़ा नाम बनने के बाद भी रामाशंकर सिंह पहले की ही तरह साधारण ढंग से जीवन जीते थे। गांव पहुंचने पर ग्रामीणों के साथ काफी समय बीताते थे। बाद में खाप मकसूदपुर गांव गंडक के कटाव में नदी में विलीन हो गया। इस गांव के लोग विस्थापित होकर अलग-अलग जगह बस गए। लेकिन इसके बाद भी अपने गांव के किसी भी व्यक्ति के राजेंद्र नगर स्थित आवास पर पहुंचने पर रामाशंकर सिंह उसे काफी आत्मीयता से मिलते थे।