अगर आप किसी अपने या करीबी मरीज के लिए ब्लड बैंक से खून लेने की सोच रहे हैं तो फिलहाल आपकी यह जरूरत यहां पूरी नहीं होने वाली है. सदर अस्पताल के एकमात्र ब्लड बैंक को खुद ही खून चढ़ाने की जरूरत है, क्योंकि यहां जरूरत के मुताबिक खून का स्टॉक नहीं है.
सदर अस्पताल में रेडक्रॉस सोसाइटी द्वारा संचालित ब्लड बैंक की आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक ए-पॉजिटिव, ए-निगेटिव, बी-निगेटिव, एबी निगेटिव खून एक भी यूनिट नहीं है. बी-पॉजिटिव व ओ-पॉजिटिव जैसे ग्रुप के ब्लड महज चार से पांच यूनिट ही स्टॉक हैं. ये आंकड़े मंगलवार सुबह तक के हैं.
हमेशा रहता है ब्लड का टोटा : ब्लड बैंक में हमेशा ब्लड के स्टाॅक का टोटा रहता है. कुल स्टॉक का पांच से 10 फीसदी ब्लड ही उपलब्ध रहता है. रेयर माना जाने वाला निगेटिव ब्लड ग्रुप शायद ही तत्काल मिल पाये.
शहर में प्रतिदिन 40 से 50 यूनिट ब्लड की डिमांड होती है. इसके अपेक्षा पांच से 10 यूनिट ब्लड ही उपलब्ध हो पाता है. वहीं, अन्य लोगों को अगले दिन तक का इंतजार करना पड़ता है.
लेनेवाले ज्यादा, देनेवाले कम : ब्लड बैंक के अधिकारियों की मानें तो यहां स्टॉक पूरा न होने की सबसे बड़ी वजह डोनर की कमी का होना है. यहां खून देनेवालों से ज्यादा लेनेवाले आते हैं. ब्लड बैंक को भी तो खून चाहिए. आधे से ज्यादा लोग सिफारिश लेकर आते हैं. ऐसे में उन्हें बिना डोनर ही ब्लड दिया जाता है. इस तरह से स्टॉक कम होता है.
Gopalganj.ORG की अपील! आप भी करें रक्तदान : यदि आप स्वस्थ हैं और आपकी उम्र 18 से 60 साल के बीच है, तो आप किसी की जिंदगी बचाने के लिए रक्तदान कर सकते हैं. ‘#MeToo Blood Donor’ आपसे यह अपील करता है कि ब्लड बैंक में स्वैच्छिक रक्तदान करें. रक्तदान करनेवाले लोगों को रेडक्रॉस सोसाइटी की ओर से रक्तदाता कार्ड मिलेगा, जिससे आप देश भर के किसी भी ब्लड बैंक से छह माह के अंदर जरूरत पड़ने पर ब्लड ले सकते हैं.
तीन रक्तवीरों ने किया रक्तदान : सदर अस्पताल के ब्लड बैंक में खून की कमी को देखते हुए जिला ब्लड डोनर टीम के नन्हूजी प्रसाद समेत तीन रक्तवीरों ने रक्तदान किया. जिसमें नन्हूजी प्रसाद ने 10वीं बार रक्त्दान किया. वहीं शिक्षक मेघनाथ व व्यवसायी नितेश टिबड़ेवाल ने बताया कि प्रत्येक तीन माह पर स्वेच्छिक रक्तदान करते हैं.