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स्वास्थ्य समाचार : आंगनबाड़ी केंद्रों पर गर्भवती महिलाओं की हुयी गोदभराई रस्म

आंगनबाड़ी केंद्रों पर गर्भवती महिलाओं की हुयी गोदभराई रस्म
• गर्भवती महिलाओं व शिशुओं के बेहतर स्वास्थ्य पर दिया जा रहा जोर
• गांव की महिलाओं ने गाया मंगलगीत
• पौष्टिक आहार लेने के लिए किया गया जागरूक
• गोद भराई में महिलाओं को मिला सम्मान
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गोपालगंज/ 7 फरवरी। जिले के प्रत्येक आंगनबाड़ी केंद्रों पर गर्भवती महिलाओं और शिशुओं के बेहतर स्वास्थ्य बढ़ावा देने के लिए गोदभराई रस्म का आयोजन किया गया। परंपरा के अनुसार गर्भवती महिलाओं की गोद में फल, नारियल व लड्डू आदि भर कर रस्म अदा की गई। गर्भवती महिलाओं को पौष्टिक आहार दिए गए। गर्भवती महिलाओं, किशोरियों व छोटे बच्चों को स्वच्छता के प्रति जागरूक किया गया। इस दौरान गर्भवती माताओं को गर्भावस्था के समय उचित खानपान एवं प्रसव के बाद पोषक आहार के बारे में बताया गया। महिलाओं को हरी पत्तेदार सब्जियों, रेशेदार भोजन में शामिल करने की सलाह दी गयी। विशेष रूप से एनीमिया की चर्चा करते हुए महिलाओं को आयरन की गोली खाने को प्रेरित किया गया। इस दौरान महिला के साथ साथ पुरूष को भी गर्ववती महिला का ख्याल रखने के लिए प्रेरित किया गया।
 
गर्भावस्था के दौरान पौष्टिक आहार जरूरी:
केयर इंडिया के एफपीसी अमित कुमार के द्वारा महिलाओं को गर्भावस्था में लेने वाले पोषण तत्वों के बारे में विस्तृत जानकारियां दी गई। उन्होंने कहा कि पौस्टिक आहार लेने से ना सिर्फ महिलाएं स्वस्थ रहती हैं। बल्कि बच्चे का भी सर्वांगीण विकास होता है। पौष्टिक आहार के अभाव में महिलाएं विभिन्न प्रकार की बीमारियों से ग्रसित हो जाती हैं। जिसके चलते उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
6 माह तक सिर्फ माँ का दूध पिलायें:
नेशनल न्यूट्रिशन मिशन के जिला समन्वयक ब्रजकिशोर प्रसाद ने गर्भवती महिला उनके साथ आए रिश्तेदारों को सुरक्षित प्रसव के लिए बरती जाने वाली सावधानियां और सुरक्षित प्रसव अस्पताल में कराने के बारे में जानकारी देकर जागरूक किया गया। इसके साथ ही उन्हें बताया गया कि जन्म से तुरंत बाद पहला दूध शिशु को उसकी मां का पिलाए घुटी नहीं दें। बच्चे को 6 माह तक मां का दूध ही पिलाएं। 6 माह के बाद ही बच्चों को अनुपूरक आहार देना है। 6 माह के बाद भी बाहरी पूरक आहार देने के बाद भी मां का दूध बंद नहीं करना है और कम से कम दो साल तक मां का दूध आवश्यक रूप से मिलना चाहिए। अगर 2 साल के बाद भी बच्चा दूध पीता है और मां को दूध हो रहा है तो बच्चों को मां का दूध नहीं बंद करना चाहिए।
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यह कार्यक्रम देता है बेटी बचाओ का संदेश:
सरकार की इस योजना के तहत आंगनबाड़ी केंद्र पर गर्भवती महिला की गोदभराई के लिए सभी रीति-रिवाज तहत किया गया। ताकि महिला को घर जैसा माहौल मिलें। गोद भराई कार्यक्रम से बेटी बचाओ का संदेश भी दिया गया। आसपास के गली मोहल्ले की बुजुर्ग महिलाओं ने स्वागत मंगलगीत गाया।
गोद भराई में महिलाओं को मिला सम्मान:
आंगनबाड़ी केंद्रों पर गर्भवती महिलाओं की गोद भराई और 6 माह के शिशु के अन्नप्रशान की रस्में अदा की गयी। गर्भवती महिलाओं को आंगनबाड़ी केंद्र पर बुलाकर उसको डलिया भेंट सामग्री भेंट किया गया। परंपरा के मुताबिक मौसमी फल, नारियल, अंकुरित अनाज, गुड़, भूना चना भरा गया।