न्यायालय परिसर से वकीलों की सीट रातोंरात हटाए जाने तथा आए दिन अधिवक्ताओं के साथ किए जा रहे दुर्व्यवहार के विरोध में वकीलों ने जिला एवं सत्र न्यायाधीश सहित सभी न्यायालयों में कार्य का बहिष्कार किया। इस दौरान वकीलों ने न्यायालय परिसर में नारेबाजी भी की। आक्रोशित अधिवक्ता जिला एवं सत्र न्यायाधीश पर कई संगीन आरोप लगा रहे थे।
बताया जाता है कि शनिवार की सुबह करीब साढ़े छह बजे जब अधिवक्ता न्यायालय में कोर्ट के काम से पहुंचे तो जिला एवं सत्र न्यायाधीश के न्यायालय कक्ष के सामने स्थित वकीलों का सीट उजड़ा हुआ पाया। इस बिंदु पर जब वकीलों का प्रतिनिधि मंडल जिला एवं सत्र न्यायाधीश से मिलने का प्रयास किया तो जिला एवं सत्र न्यायाधीश उनसे नहीं मिले। इस बात पर वकीलों में आक्रोश बढ़ गया। इस बीच अधिवक्ताओं ने आरोप लगाया कि जिला एवं सत्र न्यायाधीश आए दिन अधिवक्ताओं के साथ दुर्व्यवहार करते हैं। आक्रोशित वकीलों ने सुबह करीब सवा आठ बजे जिला एवं सत्र न्यायधीश सहित तमाम न्यायालयों में काम करने से इन्कार कर दिया। कुछ ही देर में तमाम न्यायालयों में काम कर रहे अधिवक्ता न्यायालयों से बाहर निकल गए। इसके बाद शनिवार को न्यायालयों में कामकाज पूरी तरह से ठप हो गया। बाद में जिला विधिज्ञ संघ की बैठक संघ के अध्यक्ष शैलेश कुमार तिवारी की अध्यक्षता में आयोजित हुई। जिसमें सोमवार को भी न्यायालयों का कार्य का बहिष्कार करने का निर्णय लिया गया। इस संबंध में संघ ने स्टेट बार काउंसिल को भी पत्र लिखकर इस बात की जानकारी दे दी। बैठक में संघ के अध्यक्ष शैलेश कुमार तिवारी, सचिव प्रेमनाथ मिश्र, अनिल कुमार तिवारी, ज्योति प्रकाश बरनवाल तथा विशाल राज सहित सैकड़ों अधिवक्ता शामिल थे। सोमवार को संघ की दोबारा होने वाली बैठक में आगे की रणनीति पर निर्णय लिया जाएगा।
बैरंग लौटने को विवश हुए लोग
व्यवहार न्यायालय में अधिवक्ताओं के न्यायालय के कार्य का बहिष्कार किए जाने के कारण दूर दराज से कोर्ट के काम से आने वाले लोग बैरंग ही वापस लौट गए। वकीलों के न्यायालयों में काम नहीं करने के कारण शनिवार को सुबह साढ़े आठ बजे के बाद कोई भी काम नहीं नहीं सका। ऐसे में न्यायिक पदाधिकारी भी अपने चैंबर में ही बैठे रहे।