बच्चों को बेहतर पोषण प्रदान कराने के उद्देश्य से जिले के सभी आंगनवाड़ी केन्द्रों में अन्नप्राशन दिवस मनाया गया। जिसमें 6 माह से ऊपर के बच्चों को अनुपूरक आहार का सेवन कराया गया। साथ ही सामुदायिक सहभागिता के जरिए ऊपरी आहार से संबंधित व्यवहार परिवर्तन में सुधार के लिए आईसीडीएस द्वारा की गयी नई पहल के अंतर्गत प्रत्येक आंगनवाड़ी केन्द्रों पर ऊपरी आहार अभ्यास दिवस भी आयोजित किया गया।
डीपीओ ने बताया कि 6 से 12 माह के बच्चों के अभिभावकों को बुलाकर बच्चों के लिए 6 माह के बाद उपरी आहार की जरूरत के विषय में जानकारी दी गयी। 6 माह से 9 माह के शिशु को दिन भर में 200 ग्राम सुपाच्य मसला हुआ खाना, 9 से 12 माह में 300 ग्राम मसला हुआ ठोस खाना , 12 से 24 माह में 500 ग्राम तक खाना खिलाने की हिदायत दी गयी। इसके अलावा अभिभावकों को बच्चों के दैनिक आहार में हरी पत्तीदार सब्जी और पीले नारंगी फल को शामिल करने की बात बताई गयी।
ऊपरी आहार दिवस आयोजन एक नई पहल:
जिले में अन्नप्राशन के साथ ऊपरी आहार अभ्यास दिवस भी मनाया गया। इसमें बच्चों के अभिभावकों को बुलाकर घर से लाये गए खाने का सामूहिक अवलोकन करने पर जोर दिया गया। इसमें सेविका लाये गए खाने में शामिल चावल, रोटी, दाल, हरी सब्जी, अंडा एवं अन्य खाद्य पदार्थों की पोषक तत्वों के विषय में चर्चा कर अभिभावकों को इसके विषय में जागरूक किया गया। कुछ माताएं घर से पका भोजन नहीं ला पायी तब उन्हें आंगनवाड़ी केंद्र में मेनू के अनुसार पका एक कटोरी भोजन का प्रयोग कर इसका प्रदर्शन किया गया। इस दौरान हाथ धोने का प्रदर्शन भी किया गया। जिसमें बच्चों को खाना खिलाने से पूर्व साबुन से हाथ धुलने के विभिन्न चरणों का प्रदर्शन हुआ।
प्रदर्शन एवं अभ्यास पर दिया गया विशेष ज़ोर:
सेविकाएं हाथ धोने के प्रदर्शन के बाद खाने को मसल कर एवं अर्ध ठोस आहार बना कर खिलाने का प्रदर्शन किया। साथ ही 7 माह एवं इससे बड़ी उम्र के ऐसे बच्चें जिनको खाने की आदत है उन्हें उनकी माताओं के साथ ही यू आकार में बिठाकर उन्हें खाने के लिए प्रेरित किया गया ताकि बड़े बच्चों को खाना खाते देखकर 6 माह के बच्चों में भी खाना खाने की इच्छा जागृत हो सके। इसके अलावा सेविकाएं खाने की इच्छा के संकेतों को पहचानकर साफ़ हाथ या चम्मच से खाना खिलाने का प्रदर्शन भी किया गया।
ये रिपोर्ट हमें गांव का रिपोर्टर गणपत आर्यन ने भेजी है।