कारा में आजीवन कारावास की सजा काट रहे कैदी वीरेंद्र यादव की हार्ट अटैक के हुई मौत की सूचन मिलने के बाद रविवार को कैदी कारा में अनशन पर बैठ गए। कैदियों ने वीरेंद्र यादव की मौत मामले की निष्पक्ष जांच की मांग कर रहे थे।
रविवार की सुबह जैसे ही कारा में बंद कैदी वीरेंद्र सिंह की सदर अस्पताल में मौत की खबर मिली, कैदी अचानक आक्रोशित हो गए। कैदियों ने कारा परिसर में ही अनशन प्रारंभ कर दिया। अनशन में कारा से अधिकांश शामिल हुए। कैदियों के अनशन पर बैठने की सूचना मिलते ही कारा अधीक्षक अमित कुमार ने अनशन पर बैठे कैदियों से मिलने पहुंचे। उन्होंने कैदियों से बातचीत करने के बाद इस बात की सूचना वरीय अधिकारियों को दी। कारा अधीक्षक के समझाने के बाद अनशन पर बैठे कैदियों ने दोपहर बाद अपना अनशन समाप्त कर दिया। इस मौके पर जेलर अखिलेश सिंह व डॉक्टर दीपक कुमार सहित जेल के कर्मी मौजूद रहे।
राजद ने लगाया इलाज में लापरवाही बरतने का आरोप:
पूर्व मुखिया वीरेंद्र यादव की मौत के लिए जेल प्रशासन पूरी तरह जिम्मेवार है, समय रहते यदि उन्हें सदर अस्पताल लाया जाता तो उनकी जान बचाई जा सकती थी। राजद के जिलाध्यक्ष रेयाजुल हक राजू ने आज जिला पदधिकारी को पत्र लिखकर पूरे मामले की निष्पक्ष जांच कराने की मांग की। प्रेस बयान जारी कर राजद जिलाध्यक्ष ने अरोप लगाया कि इलाज में लापरवाही के कारण वीरेंद्र यादव की मौत हुई। उन्होंने आरोप लगाया कि पूर्व मुखिया की तबियत बिगड़ने के बाद जेल में बंद उनके छोटे भाई सुरेंद्र यादव ने बार-बार जेलर अखिलेश कुमार, डॉक्टर आशीष रंजन, कंपाउंडर मिठू प्रसाद तथा हवलदार प्रमोद कुमार से पूर्व मुखिया को सदर अस्पताल भेजने की विनती करते रहे पर उनकी बात को अनसुना कर उन्हें सेल में बंद कर दिया गया। उन्होंने कहा कि यदि समय पर जेल प्रशासन द्वारा पूर्व मुखिया को जिला अस्पताल में भेज दिया गया होता तो उनकी जान बच सकती थी। उन्होंने जिलाधिकारी से इस पूरे मामले में जेलर, डॉक्टर, हवलदार और कंपाउडर की भूमिका की जांच कराने की मांग करते हुए दोषियों पर कड़ी करवाई की मांग की है।