वर्ष 2008 के शिक्षक नियोजन में फर्जीवाड़ा करने के मामले में कुचायकोट के तत्कालीन बीडीओ के खिलाफ कुचायकोट थाने में प्राथमिकी दर्ज करायी गयी है.
वह वर्तमान में मुंगेर जिले के टेटियाबंबर प्रखंड के बीडीओ के रूप में कार्यरत हैं. शिक्षा विभाग के निदेशक प्राथमिक शिक्षा एम रामचंदुडु के आदेश के 102 दिनों के बाद कुचायकोट के बीईओ हरेंद्र दुबे ने मंगलवार को कुचायकोट थाने में प्राथमिकी दर्ज करायी है. इस कांड के दर्ज होने से बीडीओ की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. कुचायकोट में वर्ष 2008 के द्वितीय चरण के शिक्षक नियोजन में 207 पदों पर नियोजन कराना था. समय पर मेधा सूची का प्रकाशन नहीं होने से नियोजन खटाई में पड़ गयी थी. बाद में अभ्यर्थियों ने पटना हाईकोर्ट में मुकदमा दाखिल किया.
हाईकोर्ट के आदेश के बाद शिक्षक नियोजन अपीलीय प्राधिकार की निगरानी में नियोजन कराने का आदेश मिला. इस आदेश पर तत्कालीन डीईओ सुरेश प्रसाद की मौजूदगी व पर्यवेक्षण में काउंसेलिंग करायी गयी. उसके बाद नियोजन इकाई को सूची बनाकर चयन के लिए सौंपा गया. सूची के अनुरूप तत्कालीन बीडीओ मनोज कुमार पंडित ने अभ्यर्थियों के कागजात की जांच कर 2014 सितंबर में 125 को चयन पत्र दिया. इस बीच उनका तबादला हो गया. बीडीओ दृष्टि पाठक ने मार्च 2015 में 29 अभ्यर्थियों को चयन पत्र दिये.
52 पदों पर चयन नहीं हो सका. एक वर्ष के बाद शेष बचे पदों पर नियोजन की तैयारी कर ली. कई अभ्यर्थियों को चयन पत्र भी दे दिया गया. हालांकि शिक्षा विभाग ने इस चयन पत्र पर किसी भी अभ्यर्थी को स्कूलों में योगदान करने पर रोक लगा दी थी. इसकी शिकायत लोगों ने डीएम राहुल कुमार से की. डीएम ने विभाग से जब जानकारी ली तो बचे हुए पदों को समायोजित कर टीईटी पास अभ्यर्थियों के लिए मर्ज कर लेने की बात सामने आयी.
डीएम ने इस प्रकरण में चार अप्रैल, 2017 को कार्रवाई के लिए विभाग को पत्र भेजा. इस पत्र के बाद प्राथमिक शिक्षा निदेशक ने 22 नवंबर, 2017 को डीईओ को कार्रवाई का आदेश दिया था. इसमें नियोजन पत्र को रद्द करने, प्राथमिकी दर्ज कराने व नियोजित किये गये शिक्षकों से वेतन आदि की रिकवरी करने का आदेश था. इस आदेश के बाद बीईओ ने प्राथमिकी दर्ज करायी है.
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