सदर अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में पिछले 20 घंटे से शव लावारिस हालत में पड़ा रहा. गर्मी होने के कारण शव से निकल रही दुर्गंध की वजह से वहां मरीजों का रुकना मुश्किल था. सुबह तक शव नहीं हटाये जाने पर वार्ड को मरीजों ने खाली कर दिया.
बताया गया है कि उक्त मरीज की रविवार की रात में मौत हो गयी, लेकिन शव को वार्ड से नहीं हटाया गया. बदबू से परेशान मरीजों ने इसकी शिकायत ऑन ड्यूटी चिकित्सक व कर्मियों से की, लेकिन इस पर किसी ने ध्यान नहीं दिया.
सोमवार की दोपहर तक यही स्थिति बनी रही, तो कुछ मरीजों ने मामले की जानकारी वरीय उपसमाहर्ता पूजा प्रीतम को दी. सूचना पर वह डीपीएम अरिवंद झा, अस्पताल मैनेजर अमरेंद्र कुमार के साथ अस्पताल पहुंचीं, तो वार्ड की कुव्यवस्था देख व खिन्न हो गयीं. उन्होंने तत्काल शव को हटाने का निर्देश दिया.
सदर अस्पताल के कर्मियों ने बताया कि कोषागार कार्यालय के समीप पिछले दो दिनों से अधेड़ पड़ा था. रिक्शे से उसे सदर अस्पताल में किसी ने लाकर भर्ती करा दिया. भर्ती करानेवाले युवक ने शराब पीकर गिरने की बात बतायी. डॉक्टर ने इलाज शुरू किया, इसी बीच उसकी मौत हो गयी.
सदर अस्पताल हो या नगर थाना, कहीं भी लावारिस लाश रखने की व्यवस्था नहीं है. नियम के अनुसार लावारिस लाश को 72 घंटे तक उसकी पहचान के लिए रखना है. पुलिस अक्सर तीन दिनों तक अस्पताल में ही लावारिस लाश को छोड़ देती है. इसके कारण मरीजों को दुर्गंध से परेशानी होती है.