अप्रैल के दूसरे सप्ताह में ही अचानक गंडक नदी का जल स्तर बुधवार की रात बढ़ गया. इससे नदी का पानी नीचले इलाकों में फैलने लगा. गुरुवार की सुबह लगभग 580 एकड़ में फैले तरबूज, ककड़ी, खीरा, लौकी, नेनुआ आदि की फसल बर्बाद हो गयी. किसान सुबह जब अपने खेत पर पहुंचे तो नदी उनके फसल को डुबो चुकी थी.
किसान इस बर्बादी को देख बिफर पड़े. किसानों ने कर्ज लेकर नदी के तटवर्ती इलाकों में प्रतिवर्ष के अनुरूप इस बार भी सब्जी और सीजनल फलों की खेती की थी. बैकों से कर्ज लेकर खेती करने वाले किसानों की नींद हराम हो गयी है. किसानों के सामने भविष्य की चिंता सता रही है.
सबसे अधिक निमुइया पंचायत में हुई तबाही
मांझा प्रखंड की निमुइया पंचायत में सबसे अधिक तबाही हुई हैं. निमुइया पंचायत के लगभग तीन दर्जन से अधिक ऐसे किसान हैं, जिन्होंने कर्ज लेकर खेती किया था. उम्मीद थी कि फल और सब्जी को बेचकर न सिर्फ कर्ज चुकता करेंगे. गांव के अमरजीत सहनी, बलिस्टर सहनी, राघो सहनी, दिनानाथ सहनी, मनेजर सहनी, किराना सहनी, मगनी सहनी, रामाकांत सहनी, आदि किसानों ने बताया कि बरसात में तो तबाही होती है, लेकिन इस बार नदी ने चैत में ही तबाही शुरू कर दी है.
छह प्रखंडों में होती है फल और सब्जी की खेती
गंडक नदी के तटवर्ती इलाके में जब बाढ़ समाप्त होती है, तब आसपास के किसान यहां सब्जी और सीजनल फलों की खेती करते हैं. कम लागत में बेहतर उपज होता है. कुचायकोट, सदर, मांझा, बरौली, सिधवलिया तथा बैकुंठपुर प्रखंड के लगभग 16 हजार परिवार सब्जी की खेती में जुटे हैं. इस बार नदी में अचानक पानी बढ़ने से फसल डूब गयी है. दरअसल यहां 15 जून के बाद ही नदी में पानी बढ़ता है. इस बार अप्रैल में पानी आने से किसान परेशान हो उठे हैं.