लोकसभा चुनाव की डुगडुगी बज चुकी है। चुनाव की तिथि घोषित होने के बाद राजग तथा महागठबंधन में शामिल दल अपने अपने गठबंधन को जीत दिलाने की रणनीति पर काम करने लगे हैं। जनता भी अब चुनावी मूड में आने लगी है। गोपालगंज संसदीय सीट को लेकर हुए अब तक हुए चुनाव में यहां के वोटरों ने मुख्य राजनीतिक दलों के प्रत्याशी पर ही अपना भरोसा जताया है। हालांकि एक बार वोटर निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में काली प्रसाद पाण्डेय के सिर भी जीत का सेहरा बांध चुके हैं। आंकड़े बताते हैं कि गोपालगंज संसदीय सीट से 1980 के बाद कांग्रेस को जीत नहीं मिल सकी है।
वर्ष 1952 से हुए चुनाव के आंकड़े बताते हैं कि 1980 में नगीना राय कांग्रेस के टिकट पर अंतिम बार चुनाव जीते। इसके बाद भी कांग्रेस चुनाव मैदान में उतरती रही। लेकिन हर बार उसे कारारी हार का सामना करना पड़ा। वर्ष 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में ज्योति भारती को दो लाख से भी कम मत प्राप्त हुए और वे दूसरे स्थान पर रहीं। इस सीट का पुराना इतिहास बताता है कि यहां सबसे अधिक कांग्रेस के द्वारिकानाथ तिवारी चार बार सांसद चुने गए। इन्होंने तीन बार कांग्रेस के प्रत्याशी के रूप में तथा एक बार भारतीय लोकदल के प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़कर जीत दर्ज किया था। सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री अब्दुल गफूर भी इस सीट से दो बार सांसद चुने गए थे। इस सीट पर दो बार जदयू तथा एक-एक बार राजद तथा भाजपा के प्रत्याशी भी सांसद चुने गए। जनता दल तथा समता पार्टी के टिकट पर भी प्रत्याशी जीत दर्ज करने में सफल रहे। इस बीच साल 2009 में गोपालगंज संसदीय क्षेत्र को सुरक्षित क्षेत्र घोषित कर दिया। साल 2009 में हुए लोकसभा चुनाव में जदयू के पूर्णमासी राम तथा साल 2014 में हुए चुनाव में भाजपा के जनक राम सांसद चुने गए। कब किसको मिली जीत
वर्ष विजयी प्रत्याशी दल का नाम
1952 डॉ. सैयम महमूद कांग्रेस
1957 द्वारिका नाथ तिवारी कांग्रेस
1962 द्वारिका नाथ तिवारी कांग्रेस
1967 द्वारिका नाथ तिवारी कांग्रेस
1977 द्वारिका नाथ तिवारी भारतीय लोकदल
1980 नगीना राय कांग्रेस
1984 काली प्रसाद पाण्डेय निर्दलीय
1989 राजमंगल मिश्र जनता दल
1991 अब्दुल गफूर जनता दल
1996 लालबाबू प्रसाद यादव जनता दल
1998 अब्दुल गफूर समता पार्टी
1999 रघुनाथ झा जदयू
2004 अनिरुद्ध प्रसाद उर्फ साधु यादव राजद
2009 पूर्णमासी राम जदयू
2014 जनक राम भाजपा