फटेहाल जिंदगी जी रहे असहायों को अब शिक्षकों का सहारा मिल गया है। शिक्षकों ने असहाय लोगों की मदद करने के लिए शहर के एसएस बालिका स्कूल की चहारदीवारी के पास इंसानियत की दीवार बनाई है। इस दीवार में लगे हेंगर पर लोग असहाय लोगों को पहनने के लिए कपड़ा टांगते हैं। लोहे के पाइप से बनाए गए इंसानियत की दीवार के काउंटर पर लोग अब खाद्य सामग्री सहित अन्य सामग्री भी रखने लगे हैं। इस काउंटर पर कोई भी अपनी जरूरत से अधिक सामान को रख सकता है और कोई भी जरूरतमंद इस काउंटर पर रखी गई सामग्री को अपने इस्तेमाल के लिए ले जा सकता है। इंसानियत की इस दीवार के माध्यम से अब असहाय लोगों को पहने के लिए कपड़ा तथा अन्य सामग्री बिना कुछ दिए मिल रही है। शिक्षकों की इस पहल से असहाय लोगों को कुछ राहत मिलने लगी है।
शहर में असहाय लोगों के लिए कोई रैन बसेरा नहीं है। असहाय लोगों को सड़क के किनारे रातें गुजारने पड़ती है। हालांकि ठंड के मौसम में जिला प्रशासन की तरफ से असहाय लोगों के लिए कंबल वितरित किया जाता है। सामाजिक संगठन भी असहाय लोगों की मदद के लिए आगे आते हैं। लेकिन यह सहायता कड़ाके की ठंड के दौरान ही असहाय लोगों को मिल पाती है। बाकि दिनों में इन्हें कोई मदद नहीं मिलती है। जिसे देखते हुए सदर प्रखंड के जादोपुर में स्थित रामरतन शाही उच्च विद्यालय के शिक्षक मनुजी पाण्डेय, सतीश कुमार, अमृतंजय कुमार ने असहाय लोगों के लिए कुछ ऐसा करने की सोची ताकि उनको हर दिन मदद मिल सके। इस सोच को इन शिक्षकों ने इंसानियत की दीवार बनाकर सकार रूप देने की पहल किया। शहर के एसएस बालिका विद्यालय के चहारदीवारी से सट कर इन शिक्षकों ने अपने खर्चे पर पाइक के सहारे दीवार बनाकर वहां काउंटर खोल दिया। इस दीवार के पास उन्होंने बोर्ड लगाकर जो आपके पास अधिक है उसे यहां छोड़ जाएं तथा जो आपको जरूरत है उसे यहां से ले जाएं, खिलकर लोगों से असहाय लोगों की मदद करने की अपील किया। इस अपील का असर अब दिखने लगा है। लोग यहां कपड़ा तथा खाद्य पदार्थ सहित अन्य सामग्री रखे रहे हैं और असहाय लोग यहां से कपड़ा सहित अन्य सामग्री ले जाते हैं। शिक्षकों की इस पहल से अब असहायों को सहारा मिलने लगा है।